जबकि कराहल आदिवासी विकासखंड जिले का सबसे संवेदनशील ब्लॉक है और यहां आदिवासी महिलाओं में एनीमिया(खून की कमी) की कमी की गंभीर स्थिति है, ऐसे में घर पर प्रसव होना किसी भी लिहाज से सुरक्षित नहीं का जा सकता। वहीं घर पर प्रसव के दौरान जन्म के एक घंटे बाद स्तनपान होने की स्थितियां भी बनती है, जिससे नवजात बच्चा भी पूरी तरह सर्वाइव नहीं कर पाता। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के अफसर इस स्थिति में सुधार लाने के बजाय जिले के कुल औसत संस्थागत प्रसव के आंकड़ों को लेकर खुश होकर वाहवाही लूटते नजर आ रहे हैं।
विशेष बात यह है कि संस्थागत प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना चल रही है, वहीं आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है और 108 एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस वाहन चल रहे हैं।
विशेष बात यह है कि संस्थागत प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना चल रही है, वहीं आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है और 108 एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस वाहन चल रहे हैं।
आदिवासी ब्लॉक में तीन माह में घर पर हो गए 180 प्रसव
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रेल से 30 जून की अवधि में जिले के आदिवासी विकासखंड कराहल के क्षेत्र में कुल 503 प्रसव हुए, जिसमें से 323 प्रसव तो संस्थागत (अस्पतालों में) हुए, जबकि 180 प्रसव घरों पर ही हुए हैं, जो कुल प्रसव का 35.78 फीसदी है। जाहिर है महज तीन माह की अवधि में कराहल ब्लॉक में ही 180 प्रसव घरों पर हो गए हैं, जो विभागीय लापरवाही और अकर्मण्यता को साफ दर्शाता है। इन सबके बावजूद विभागीय अफसर जिले के औसत संस्थागत प्रसव को आंकड़ों में पेश कर संभाग में अव्वल होने का दंभ भरते हैं, लेकिन जिस आदिवासी क्षेत्र में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की सबसे ज्यादा जरुरत है, वहां विभाग फिसड्डी नजर आ रहा है।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रेल से 30 जून की अवधि में जिले के आदिवासी विकासखंड कराहल के क्षेत्र में कुल 503 प्रसव हुए, जिसमें से 323 प्रसव तो संस्थागत (अस्पतालों में) हुए, जबकि 180 प्रसव घरों पर ही हुए हैं, जो कुल प्रसव का 35.78 फीसदी है। जाहिर है महज तीन माह की अवधि में कराहल ब्लॉक में ही 180 प्रसव घरों पर हो गए हैं, जो विभागीय लापरवाही और अकर्मण्यता को साफ दर्शाता है। इन सबके बावजूद विभागीय अफसर जिले के औसत संस्थागत प्रसव को आंकड़ों में पेश कर संभाग में अव्वल होने का दंभ भरते हैं, लेकिन जिस आदिवासी क्षेत्र में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की सबसे ज्यादा जरुरत है, वहां विभाग फिसड्डी नजर आ रहा है।
जिले में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव दूर की कौड़ी
विभागीय अफसरों के तमाम दावों के बाद भी श्योपुर जिले में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव दूर की कौड़ी नजर आता है। हालांकि जिले में कुल औसत 88 फीसदी संस्थागत प्रसव है, लेकिन ये स्थिति भी कम चिंताजनक नहीं है, जबकि जिले में जिला अस्पताल के साथ ही कई डिलेवरी पाइंट जिले में बनाए हुए हैं। बताया गया है कि एक अप्रेल से 30 जून की अवधि में जिले में कुल 2845 प्रसव हुए, जिसमें से 2517 तो संस्थागत हुए, लेकिन 317 प्रसव घर पर हुए हैं, जो विभागीय नाकामी को साफ उजागर करता है।
विभागीय अफसरों के तमाम दावों के बाद भी श्योपुर जिले में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव दूर की कौड़ी नजर आता है। हालांकि जिले में कुल औसत 88 फीसदी संस्थागत प्रसव है, लेकिन ये स्थिति भी कम चिंताजनक नहीं है, जबकि जिले में जिला अस्पताल के साथ ही कई डिलेवरी पाइंट जिले में बनाए हुए हैं। बताया गया है कि एक अप्रेल से 30 जून की अवधि में जिले में कुल 2845 प्रसव हुए, जिसमें से 2517 तो संस्थागत हुए, लेकिन 317 प्रसव घर पर हुए हैं, जो विभागीय नाकामी को साफ उजागर करता है।
विजयपुर-बड़ौदा में भी हालत जुदा नहीं
जहां एक ओर कराहल विकासखंड में घर पर प्रसव होने को आंकड़ों की स्थिति गंभीर है, वहीं दूसरी ओर जिले के विजयपुर और बड़ौदा क्षेत्रों में भी अभी घरों पर प्रसव की स्थिति कम नहीं है। विजयपुर में घर पर प्रसव अभी भी 11 फीसदी तो बड़ौदा क्षेत्र में ये 10 फीसदी के आसपास है।
जहां एक ओर कराहल विकासखंड में घर पर प्रसव होने को आंकड़ों की स्थिति गंभीर है, वहीं दूसरी ओर जिले के विजयपुर और बड़ौदा क्षेत्रों में भी अभी घरों पर प्रसव की स्थिति कम नहीं है। विजयपुर में घर पर प्रसव अभी भी 11 फीसदी तो बड़ौदा क्षेत्र में ये 10 फीसदी के आसपास है।
कराहल क्षेत्र में नेटवर्क प्रॉब्लम है
संस्थागत प्रसव की स्थिति लगातार बढ़ रही है, जिले में संस्थागत प्रसव की स्थिति पूरे संभाग में सबसे ज्यादा है। रही कराहल की बात तो उस क्षेत्र में नेटवर्क की प्रॉब्लम रहती है, लिहाजा समय पर सूचना नहीं मिल पाती है।
सौमित्र बुधोलिया
डीपीएम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्योपुर
संस्थागत प्रसव की स्थिति लगातार बढ़ रही है, जिले में संस्थागत प्रसव की स्थिति पूरे संभाग में सबसे ज्यादा है। रही कराहल की बात तो उस क्षेत्र में नेटवर्क की प्रॉब्लम रहती है, लिहाजा समय पर सूचना नहीं मिल पाती है।
सौमित्र बुधोलिया
डीपीएम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्योपुर