कराहल विकासखंड के ग्राम पहेला में 40 लाख रुपए की लागत से पीएचई के ठेकेदार द्वारा टंकी और दो ट्यूबवेल खनन कराकर नलजल योजना ग्राम पंचायत के सुपुर्द कर दी, लेकिन जब ग्राम पंचायत ने जलापूर्ति शुरू की तो गांव के तीन मोहल्लों में पानी नहीं पहुंचा। 3 साल से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन पीएचई विभाग मुख्य पाइप लाइन को ठीक नहीं करा सका है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत के जिम्मेदार लोगों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। हैंडपंप अभी से साथ छोड़ रहे हैं यदि यही स्थिति रही तो पीने के पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
आदिवासी बस्ती में हैंडपंप से नहीं आता पानी
कराहल क्षेत्र के गिरधरपुर में आदिवासी बस्तियों में बीते 1 साल से पानी का संकट बना हुआ है। यहां हैंडपंपों को सुधारने की कवायद पीएचई विभाग द्वारा अभी तक नहीं की गई है। आदिवासी बस्ती में रहने वाले गिरधर, मुकेश, चंद्रप्रकाश ने बताया कि भट्टी का सहराना और काला खदना में 1 साल से हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। शिकायत करने के बाद भी पीएचई विभाग ने सुध नहीं ली है।
आदिवासी बस्ती में हैंडपंप से नहीं आता पानी
कराहल क्षेत्र के गिरधरपुर में आदिवासी बस्तियों में बीते 1 साल से पानी का संकट बना हुआ है। यहां हैंडपंपों को सुधारने की कवायद पीएचई विभाग द्वारा अभी तक नहीं की गई है। आदिवासी बस्ती में रहने वाले गिरधर, मुकेश, चंद्रप्रकाश ने बताया कि भट्टी का सहराना और काला खदना में 1 साल से हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। शिकायत करने के बाद भी पीएचई विभाग ने सुध नहीं ली है।