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पानी को लेकर कलेक्टर चेंबर के बाहर आदिवासी महिलाओं ने किया हंगामा, नहीं निकले कलेक्टर

locationश्योपुरPublished: Jan 21, 2018 01:29:20 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

कलेक्टर बोले-हम करवा रहे हैं पानी की व्यवस्था, लेकिन केवल नए जनरेटर की ही जिद गलत

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श्योपुर. अल्पवर्षा और सूखे से जूझ रहे जिले में पानी को लेकर लोगों का उबाल सामने आने लगा है। यही वजह है कि दो माह में पांचवीं बार प्रशासन के समक्ष गुहार लगाने के बाद भी जब पानी की समस्या निराकृत नहीं हुई तो शनिवार को बुढ़ेरा गांव की आदिवासी महिलाओं ने कलेक्टर चेंबर के बाहर हंगामा मचाया। यही नहीं महिलाएं बस्ती की ट्यूबवेल चलाने के लिए नए जनरेटर की मांग पर अड़ी रही, लेकिन कलेक्टर बाहर नहीं आए। उनका तर्क था कि हम गांव में पानी की व्यवस्था करा रहे हैं, लेकिन केवल नए जनरेटर की मांग करना गलत है।

इससे पूर्व ग्राम पंचायत बुढ़ेरा की इंद्रा 10 कॉलोनी के वाशिंदे ट्रैक्टर-ट्रॉली के माध्यम से कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्ट्रेट के बाहर ही बैठ गए। हालांकि द्वितीय शनिवार का अवकाश था, लेकिन कलेक्टर पीएल सोलंकी बैठे हुए थे, लिहाजा ग्रामीणों एक प्रतिनिधि मंडल उनसे मिला और ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों की समस्या पर कलेक्टर सोलंकी ने मौके से ही पीएचई ईई को फोन लगाया और पिपरानी में रखा जनरेटर उठवाकर लगाने के निर्देश दिए। हालांकि कलेक्टर के आश्वासन पर ग्रामीण तो बाहर आ गए, लेकिन बाहर बैठी महिलाएं बिफर गई और बोली कि हमें पुराना नहीं नया जनरेटर चाहिए। यदि पुराना जनरेटर बिगड़ गया तो फिर कौन सुधराएगा। इसी को लेकर महिलाएं हंगामा करती हुए कलेक्ट्रेट की गैलरी में पहुंच गई और कलेक्टर चेंबर के बाहर हंगामा करने लगी। महिलाओं का कहना था कि हम कई बार यहां आ गए हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। महिलाओं ने लगभग एक घंटे तक हंगामा किया।

ग्रामीण बोले-हम दो माह में पांच बार आ गए
ग्रामीणों ने बताया कि कराहल विकासखंड की ग्राम पंचायत बुढ़ेरा की इंद्रा 10 कॉलोनी 50 घरों की आदिवासी बस्ती है, जिसमें वाटरलेवल गिरने से हैंडपंप खराब हो गए हैं और हमें सात किलोमीटर दूर पारम नदी से पानी लाना पड़ता है। गत वर्ष गांव में बोर कराई थी, लेकिन जनरेटर नहीं होने से बोर नहीं चल पा रही है। जबकि हम दो माह में पांच बार यहां आ चुके हैं और गत 9 जनवरी को भी आए थे, तब तीन दिन में व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। इसी के चलते हमें फिर आना पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि 60 किलोमीटर दूर आने के लिए साढ़े तीन हजार रुपए किराए में ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर आना पड़ता है।

बुढ़ेरा में पांच आदिवासी बस्तियां हैं, जिनमें चार में जनरेटर है। इनकी बस्ती में दो हैंडपंप लगे थे, लेकिन वाटरलेवल गिरने से वो बंद हो गए हैं। हम वहां जनरेटर लगवाकर बोर चलाने की व्यवस्था कर रहे हैं और इन्हें पानी दिया जाएगा। मांग पानी की होनी चाहिए, सशर्त मांग नहीं होनी चाहिए कि हमें केवल नया ही जनरेटर चाहिए।
पीएल सोलंकी, कलेक्टर, श्योपुर
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