बच्चे भी आ रहे जद में
एड्स की जांच के लिए श्योपुर में मई 2006 में एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र स्थापित किया गया था, जिसके बाद मई 2006 से जिले में निरंतर एड्स की जांच की जा रही है। बताया गया है कि मई 2006 से नवंबर 2020 की अवधि के दौरान लगभग 65 हजार मरीजों की एचआईवी एड्स की जांच की गई, जिसमें 151 लोग एड्स पॉजिटिव पाए गए हैं। पॉजिटिव मिले 151 मरीजोंं में 95 पुुरुष, 45 महिला और 11 बच्चे शामिल हैं। इनमें 33 मरीजों की मौत हो गई है।
नशे के कारण भी बढ़ रहे एड्स रोगी!
जिले में एड्स जैसी गंभीर बीमारी के बढऩे के पीछे एक कारण नशा भी है, क्योंकि इंंजेक्शन के जरिए नशा करने वाले लोगों की संख्या श्योपुर में बढ़ती जा रही है, नशा करने वाले लोग जो एक-दूसरे का इंजेक्शन का प्रयोग नशा करने के दौरान कर रहे हैं, जिससे वे संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे कुछ मामले में पिछले दो-तीन सालों में सामने भी आए हैं।
इन कारणों से फैलता है एड्स
एड्स का पूरा नाम है एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम है और यह बीमारी एचआईवी वायरस से होती है। एड्स एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध से, संक्रमित रक्त चढ़ाने से या संक्रमित सिरिंज (सुई) के प्रयोग से हो सकता है।
दवाओं से बढ़ जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
चिकित्सकों के मुताबिक एचआईवी वायरस द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट होने के पश्चात एड्स होता है। डॉक्टरों ने बताया कि उपचार के दौरान दवाइयों से मरीज के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है साथ ही जीवन का समय भी बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में जिले के पॉजिटिव मरीज ग्वालियर, भोपाल, शिवपुरी आदि के एआरटी सेंटरों से दवा खा रहे हैं।
बीते 15 सालों में जिले में मिले एड्स पॉजिटिव
वर्ष पॉजीटिव
2006 3
2007 1
2008 2
2009 5
2010 6
2011 6
2012 6
2013 3
2014 6
2015 7
2016 7
2017 15
2018 12
2019 29
2020 42
एड्स के मरीज की दवाइयों से जीवन की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। जिले में मिले पॉजिटिव मरीजों को भी हम विभिन्न एआरटी सेंटरों से दवाई खिलवा रहे हैं और उनका फॉलोअप भी किया जा रहा है।
डॉ. एसएन बिंदल, नोडल अधिकारी, एड्स नियंत्रण कार्यक्रम, श्योपुर