बताया गया है कि सिंधिया रियासत आगरा के बटेश्वर के मूल निवासी पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे, इसी के तहत श्योपुर में पारखजी के बाग में संचालित रहे तत्समय के प्राथमिक स्कूल में वे हैडमास्टर रहे। हालांकि अब ये स्कूल भवन खंडहर हो गया है और यहां संचालित स्कूल दूसरे भवन में शिफ्ट हो गया है, लेकिन बताया जाता है कि वर्ष 1940 से 1945 के बीच अटलजी अपने पिता के साथ श्योपुर आया करते थे और यहां की गलियों में खूब खेले थे।
राजनीतिकाल में भी श्योपुर आए थे अटलजी
समाजसेवी कैलाश पाराशर के मुताबिक श्योपुर निवासी स्व.दांडेकर जी उनके बालसखा रहे और ग्वालियर में उनके साथ पढ़े भी थे। पाराशर ने बताया कि बचपन में श्योपुर में आने की बात स्वयं अटल जी ने ही अपने राजनीतिकाल में एक बार आए श्योपुर दौरे के दौरान बताई थी।
वर्ष 1990 में शिवपुरी विधानसभा से भाजपा का टिकट सुशील बहादुर अष्ठाना को दिए जाने के लिए अटलजी ने हरी झंडी दे दी थी। यशवंत जैन बताते हैं कि जब टिकट फायनल हुआ तो भाजपा का मेंडेड विनोद गर्ग टोडू को मिला। जिसके चलते जैन सहित कई भाजपा नेता दिल्ली में अटलजी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि जब मैंने सुशील का टिकट फायनल किया,तो फिर उसे काट किसने दिया। बाद में सुशील बहादुर अष्ठाना तीर-कमान चिह्न पर चुनाव लड़े तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया सहित पूरी भाजपा ने सुशील बहादुर का साथ देकर उन्हें विधायक बनाया।