प्रदेश सरकार ने इस बार खरीफ फसलों के लिए भी समर्थन मूल्य के कांटे शुरू करने का निर्णय लिया, जिसमें उड़द, तिल, धान, ज्वार और बाजरा की खरीदी की जानी थी। इसके लिए श्योपुर जिले में भी 10 खरीद केंद्र निर्धारित किए गए। लेकिन खरीदी के नाम पर किसानों के साथ मजाक जैसी ही स्थिति बनी। श्योपुर में बनाए गए 10 खरीदी केंद्रों पर उड़द की खरीदी 20 अक्टूबर 2018 से शुरू होकर 19 जनवरी 2019 तक का समय निर्धारित किया गया है। लेकिन पहले तो निर्धारित तिथि के एक पखवाड़े बाद तक केंद्र शुरू नहीं हुए और जब हुए तो किसानों केा एफएक्यू (निर्धारित गुणवत्ता) के मान का उड़द नहीं होने से किसानों को लौटा दिया गया। यही नहीं समय से पहले ही केंद्र की व्यवस्थाएं भी हटा ली गई, जिसके कारण किसानों ने अपनी उपज मंडियों में ही बेची। इसी स्थिति के चलते 16 जनवरी तक की स्थिति में जिले में महज ढाई क्ंिवटल उड़द की खरीदी हुई।
उल्लेखनीय है कि उड़द का समर्थन मूल्य 5600 रुपए प्रति क्ंिवटल था, लेकिन केंद्रों पर खरीदी नहीं होने से किसानों ने मंडियों में 1600 से 4000 रुपए प्रति क्ंिवटल में अपना उड़द बेचा। बताया गया है कि अभी भी श्योपुर मंडी में ही प्रतिदिन 200 बोरी के आसपास उड़द की आवक हो रही है।
तिल, ज्वार, बाजारा एक दाना भी नहीं हुई खरीद
जहां एक ओर उड़द की खरीदी महज ढाई क्ंिवटल हुई, वहीं मंूग, तिल, ज्वार और बाजारा तो एक भी दाना नहीं खरीदा गया, जिससे किसान परेशान नजर आए। हालांकि धान की खरीदी 278 क्ंिवटल हुई, लेकिन इसमें भी खानापूर्ति ही हुई, क्योंकि समर्थन मूल्य पर केवल मोटा धान खरीदा जाता है, जबकि श्योपुर में बासमति किस्म का धान होता है।
10 हजार से अधिक किसानों ने कराया था पंजीयन
समर्थन मूल्य पर उड़द विक्रय करने के लिए जिले में 10832 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था। जबकि 1024 किसानों ने तिल के लिए, 81 ने मूंग, 750 ने धान, 1203 से बाजरा और 181 ने ज्वार समर्थन मूल्य पर बेचने को अपना पंजीयन कराया था।