आदिवासी समाज में फैली कुरीतियों और बुराईयों को दूर करने लिए गत वर्ष समाज के पंच-पटेलों ने दर्जन भर बैठकें की और न केवल शराबबंदी का निर्णय लिया, बल्कि जुर्माने की भी व्यवस्था की। आदिवासी समाज की 84 महापंचायत के तत्वावधान में 7 जनवरी 2018 को खिरखिरी तालाब में पहली बैठक के बाद कई गांवों में बैठकें हुई। जिसके चलते समाज के कई लोग शराब छोड़ चुके हैं। वहीं कईयों ने कच्ची शराब बनाना भी बंद कर दिया है। इसके साथ ही गत वर्ष गोरस में आए संत हरिगिरी महाराज ने भी गुर्जर समाज सहित सर्वसमाज के लोगों ने शराब त्यागने की अपील की। इसका भी असर अब समाज में दिख रहा है।
वर्ष 2017-18 वित्तीय वर्ष के मुकाबले बीते वित्तीय वर्ष में देशी शराब की खपत में कमी आई है। इसे विभिन्न समाजों में हुई शराबबंदी का असर कह सकते हैं।
योगेश काम्ठान
जिला आबकारी अधिकारी, श्योपुर
समाज में दिख रहा असर
हमने 7 जनवरी 2018 को पहली बैठक की, उसके बाद कई गांवों में बैठकें हुई और शराबमुक्ति का निर्णय लिया है। जिसका असर अब समाज में दिख रहा है और कई लोग शराब छौड़ चुके हैं।
टुंडाराम लांगुरिया
आदिवासी समाज के नेता, कराहल