अहेली नदी की पुलिया, लील चुकी है मां-बेटी को
श्योपुर-बारां हाइवे पर बड़ौदा और ललितपुरा के बीच अहेली नदी की पुलिया परेशानी का सबब है। बिना रैलिंग की इस पुलिया से 5 सितंबर 2016 को एक हादसा हो चुका है, जिसमें कोटा से बड़ौदा आ रही एक कार पुलिया से नीचे नदी में गिर गई और बड़ौदा निवासी मां-बेटी की मौत हो गई। बावजूद इसके पुल में रैलिंग नहीं लगी। यही वजह पुल से आए दिन हादसों की संभावना बनी रहती है। विशेषकर बारिश के सीजन में ज्यादा खतरा रहता है।
इंटरस्टेट हाइवे, फिर भी बिना रैलिंग का खातौली पुल
मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोडऩे वाले श्योपुर-कोटा इंटरस्टेट हाइवे पर स्थित पार्वती नदी का खातौली पुल भी हादसों का सबब बना हुआ है। एक तो पुल की ऊंचाई कम है, दूसरा इसमें रैलिंग भी नहीं है, जिससे कई बार हादसे हो चुके हैं। बारिश सीजन में तो पुल से कई दुपहिया वाहन चालक नीचे गिर चुके हैं, लेकिन पुल की रैलिंग आज तक नहीं लगाई गई हैं।
100 साल पुराने पुल में नहीं लगा पाए रैलिंग
जिले के प्रदेश के अन्य जिलों से जोडऩे वाले श्योपुर-शिवपुरी हाइवे पर स्थित कूनो नदी का पुल लगभग 100 साल पहले रियासतकाल में बना था, लेकिन अभी तक इसमें रैलिंग नहीं लग पाई हैं। यही वजह है कि इस पुल से कई बार हादसे हो चुके हैं, वहीं बारिश के सीजन में इस पुल पर हादसे का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि नदी का पानी पुल के लेवल से गुजरता है और वाहन चालक जरा सा चूके तो बहने की संभावना रहती है।
टूटी रैलिंग से हादसों की आशंका
जहां एक ओर जिले में कई पुलों पर रैलिंग नहीं है, वहीं कुछ ऐसे पुल भी हैं, जिनमें रैलिंग तेा लगाई गई, लेकिन वो टूट गई हैं। मानपुर नदी का सीप पुल कुछ ऐसी ही हालत में है। स्थिति यह है कि पुल की रैलिंग पूरी तरह टूट चुकी हैं। बावजूद इसके विभाग ने इस पुल का मेंटेनेंस नहीं कराया। वहीं श्योपुर-बारां हाइवे पर कुहांजापुर के निकट पार्वती नदी के सूरथाग पुल की भी रैलिंगें टूटी हुई है।
एमएस जादौन, कार्यपालन यंत्री, ब्रिज कॉर्पोरेशन ग्वालियर