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हादसों को आमंत्रण दे रहे बिना रैलिंग के पुल

locationश्योपुरPublished: Feb 28, 2020 07:17:22 pm

जिले के मुख्य मार्गों पर कई पुल-पुलियाओं पर नहीं रैलिंग, हादसों से भी नहीं ले रहे सबककूनो पुल, खातौली पुल, अहेली पुल पर रैलिंग नहीं, सूरथाग पुल और मानपुर सीप पुल की रैलिंग टूटी

हादसों को आमंत्रण दे रहे बिना रैलिंग के पुल

अहेली नदी पुल

श्योपुर. राजस्थान के बूंदी जिले की मेज नदी की बिना रैलिंग के पुल से नीचे गिरी बस के हादसे ने एक बार फिर पुल-पुलियाओं पर सुरक्षित सफर पर सवालिया निशान लगा दिया है। हादसों के बाद भी जिम्मेदार सबक नहीं लेते और अभी भी कई पुल-पुलियाएं बिना रैलिंग की ही हैं। श्योपुर जिले में ही देखें तो पाएंगे कि न केवल छोटे मार्गों पर, बल्कि मुख्य मार्ग और हाइवे पर पडऩे वाले नदी के पुलों की रैलिंग नहीं है। जिले में कूनो, खातौली, अहेली पुलों पर जहां रैलिंग नहीं हैं तो कई पुल-पुलियाओं की रैलिंग टूटी पड़ी हैं। विशेष बात यह है कि बड़ौदा की अहेली नदी के बिना रैलिंग के पुल से चार साल पहले एक हादसा भी हो चुका है, बावजूद इसके जिम्मेदार अभी भी उदासीन नजर आते हैं। ऐसे में जब बूंदी जैसे हादसे सामने आते हैं तो रूह कांप जाती है।

अहेली नदी की पुलिया, लील चुकी है मां-बेटी को
श्योपुर-बारां हाइवे पर बड़ौदा और ललितपुरा के बीच अहेली नदी की पुलिया परेशानी का सबब है। बिना रैलिंग की इस पुलिया से 5 सितंबर 2016 को एक हादसा हो चुका है, जिसमें कोटा से बड़ौदा आ रही एक कार पुलिया से नीचे नदी में गिर गई और बड़ौदा निवासी मां-बेटी की मौत हो गई। बावजूद इसके पुल में रैलिंग नहीं लगी। यही वजह पुल से आए दिन हादसों की संभावना बनी रहती है। विशेषकर बारिश के सीजन में ज्यादा खतरा रहता है।

इंटरस्टेट हाइवे, फिर भी बिना रैलिंग का खातौली पुल


मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोडऩे वाले श्योपुर-कोटा इंटरस्टेट हाइवे पर स्थित पार्वती नदी का खातौली पुल भी हादसों का सबब बना हुआ है। एक तो पुल की ऊंचाई कम है, दूसरा इसमें रैलिंग भी नहीं है, जिससे कई बार हादसे हो चुके हैं। बारिश सीजन में तो पुल से कई दुपहिया वाहन चालक नीचे गिर चुके हैं, लेकिन पुल की रैलिंग आज तक नहीं लगाई गई हैं।

100 साल पुराने पुल में नहीं लगा पाए रैलिंग


जिले के प्रदेश के अन्य जिलों से जोडऩे वाले श्योपुर-शिवपुरी हाइवे पर स्थित कूनो नदी का पुल लगभग 100 साल पहले रियासतकाल में बना था, लेकिन अभी तक इसमें रैलिंग नहीं लग पाई हैं। यही वजह है कि इस पुल से कई बार हादसे हो चुके हैं, वहीं बारिश के सीजन में इस पुल पर हादसे का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि नदी का पानी पुल के लेवल से गुजरता है और वाहन चालक जरा सा चूके तो बहने की संभावना रहती है।

टूटी रैलिंग से हादसों की आशंका


जहां एक ओर जिले में कई पुलों पर रैलिंग नहीं है, वहीं कुछ ऐसे पुल भी हैं, जिनमें रैलिंग तेा लगाई गई, लेकिन वो टूट गई हैं। मानपुर नदी का सीप पुल कुछ ऐसी ही हालत में है। स्थिति यह है कि पुल की रैलिंग पूरी तरह टूट चुकी हैं। बावजूद इसके विभाग ने इस पुल का मेंटेनेंस नहीं कराया। वहीं श्योपुर-बारां हाइवे पर कुहांजापुर के निकट पार्वती नदी के सूरथाग पुल की भी रैलिंगें टूटी हुई है।
कूनो, खातौली और अहेली नदी के वर्तमान पुलों की जगह नए पुल शासन से मंजूर हैं और इनके टेंडर भी हो गए हैं। अभी डिजायन बन रही है, जल्द ही निर्माण शुरू हो जाएगा। इनमें हादसे रोकने के लिए रैलिंग के रूप में 3 फीट ऊंचा आरसीसी क्रॉस बैरियर बनेगा। वहीं मानपुर सीप पुल की तो इसका भी जल्द ही मेंटेनेंस कराया जाएगा।
एमएस जादौन, कार्यपालन यंत्री, ब्रिज कॉर्पोरेशन ग्वालियर
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