श्योपुर के पाली से उत्तरप्रदेश के चकरनगर के 435 किलोमीटर लंबा चंबल घडिय़ाल इलाके में बहर रही चंबल नदी का पानी सबसे स्वच्छ तो ही है, साथ ही आसपास के किनारों का वातावरण भी पारिस्थिक तंत्र के लिहाजा से बेहतर है। हालांकि अभयारण्य प्रबंधन जलीय जीवों और पक्षियों का वार्षिक सर्वे करता है, लेकिन पिछले दिनों प्रबंधन ने तितलियों का विशेष सर्वे कराने का निर्णय लिया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों और अन्य संस्थानों के रिसर्च स्कॉलरों की मदद से ये सर्वे हुआ, जिसमें 36 प्रकार की प्रजातियां बटरफ्लाई(तितलियों) की मिली है। इनमें येलो पैंसिल, ब्लू पैंसिल, लेमन पैंसिल, प्लेन टाइगर, क्रिस्माटिपा, लाइसेनिडाई, जायंट बर्डविंग आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। बटरफ्लाई के सर्वे के बाद घडिय़ाल अभारण्य प्रबंधन पर्यटकों को बटर फ्लाई के बारे में भी जानकारी देगा और उनकी प्रजातियों की विशेषता आदि से पर्यटकों को रूबरू कराएगा।
19 प्रकार के शिकारी पक्षी भी मिले
अभयारण्य प्रबंधन बटर फ्लाई सर्वे के साथ ही शिकारी पक्षियों का भी सर्वे कराया, जिनकी 19 प्रजातियां यहां पाई गई है। शिकारी पक्षियों के सर्वे मेेंं इजिप्शन वल्चर सहित गिद्धों की अन्य प्रजातियां व व्हाईट शोल्डर काइट, पोनेलिन इगल आदि प्रकार के शिकारी पक्षियों की प्रजातियां मिली है। विशेष बात यह है कि चंबल के किनारे पर शिकारी पक्षियों की बड़े-बड़े झुंड भी दिखे हैं।
अन्य नदियों की अपेक्षा चंबल के आसपास का वातावरण काफी अच्छा है। इसी के तहत हमने पहली बार चंबल अभारण्य में बटर फ्लाई का सर्वे कराया है, जिसमें 36 प्रकार की बटरफ्लाई मिली है। इसके साथ ही 19 प्रकार के शिकारी पक्षी भी यहां पाए गए हैं और इनकी बड़ी बड़ी कॉलोनियां मिली है।
एए अंसारी, डीएफओ, चंबल घडिय़ाल अभयारण्य मुरैना