चंबल-पार्वती नदी के 495 किमी हिस्से में होगी जलीय जीवों की गणना
श्योपुरPublished: Jan 16, 2019 11:15:42 pm
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में वार्षिक सर्वे की तैयारियां पूरी, एक फरवरी से चंबल में उतरेंगे एक्सपट्र्स
चंबल-पार्वती नदी के 495 किमी हिस्से में होगी जलीय जीवों की गणना
श्योपुर. घडिय़ालों के लिए संरक्षित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में एक बार फिर प्रगणक अमला घडिय़ाल सहित जलीय जीवों की गणना के लिए तैयार है। इस बार एक फरवरी से गणना होगी। लगातार दूसरे वर्ष इस वार्षिक गणना में पार्वती नदी का 60 किमी हिस्सा भी शामिल किया गया है, लिहाजा एक पखवाड़े तक चलने वाली जलीय जीवों की गणना में 495 किलोमीटर तक का हिस्सा दायरे में आएगा। इसमें जलीय जीवों और पक्षियों की गणना अलग-अलग टीमों द्वारा की जाएगी।
वर्ष 1978 में संरक्षित किए गए राष्ट्रीय घडिय़ाल चंबल अभयारण्य के 435 किलोमीटर के इलाके में वर्ष 1984 में वार्षिक गणना शुरू की गई। इसके बाद से प्रतिवर्ष जनवरी-फरवरी में गणना होती है। हालांकि वर्ष 2016 तक केवल चंबल के 435 किलोमीटर दायरे में ही गणना होती थी, लेकिन वर्ष 2017 में इस गणना मेेंंं श्योपुर जिले की सीमा में पार्वती नदी का 60 किलोमीटर का हिस्सा भी शामिल किया गया। यही वजह है कि इस बार भी पार्वती के 60 और चंबल के 435 किलोमीटर कुल 495 किमी के लंबे दायरे में गणना होगी।
विशेषज्ञ और रिसर्च स्कॉलर रहेंगे टीम में
बताया गया है कि इस बार एक फरवरी से जिले की सीमा में पार्वती के बड़ौदिया बिंदी से गण्ना प्रारंभ होगी, जो चंबल के पाली घाट होते हुए भिंड तक पूरे एक पखवाड़े चलेगी। इसके लिए दिनवार शेड्यूल तैयार कर लिया गया है। इस गणना में चंबल घडिय़ाल अभयारण्य अमले के साथ ही वन्यजीव संस्थान देहरादून के रिसर्च स्कॉलर, अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञ और कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य शामिल रहेंगे।
गत वर्ष मिले थे 1681 घडिय़ाल
वर्ष 2017 में घडिय़ाल अभयारण्य में हुई वार्षिक जलीय जीव गणना में 1681 घडिय़ाल पाए गए थे। वहीं 613 मगर और 74 डॉल्फिन मिली थी। विशेष बात यह है कि श्योपुर से भिंड तक फैले इस चंबल अभयारण्य में घडिय़ालों की संख्या बीते पांच साल से लगातार बढ़ रही है।