फरवरी में होगी घडिय़ाल और जलीय जीवों की गणना
एक पखवाड़े तक चलने वाली जलीय जीवों की गणना में पार्वती नदी के 60 किमी के हिस्से सहित कुल चंबल के 495 किलोमीटर तक के हिस्से में होगी।

श्योपुर. घडिय़ालों के लिए संरक्षित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में एक बार फिर घडिय़ाल सहित जलीय जीवों की गणना के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। इस बार फरवरी के पहले हफ्ते में सर्वे शुरू होगा। एक पखवाड़े तक चलने वाली जलीय जीवों की गणना में पार्वती नदी के 60 किमी के हिस्से सहित कुल चंबल के 495 किलोमीटर तक के हिस्से में होगी। इसमें जलीय जीवों और पक्षियों की गणना की जाएगी।
बताया गया है कि घडिय़ाल व अन्य जलीय जीवों का वार्षिक सर्वेक्षण जिले की सीमा में पार्वती नदी के बड़ौदिया बिंदी से प्रारंभ होगा। जिसके बाद अमला 60 किलोमीटर पार्वती नदी में सर्वे करने के उपरांत चंबल नदी में प्रवेश करेगा और फिर जिले की सीमा में चंबल नदी के पाली घाट होते हुए भिंड तक पहुंचेगा। पूरे एक पखवाड़े तक चलने वाले इस सर्वे के लिए चंबल अभयारण्य प्रबंधन द्वारा आवश्यक तैयारियां की जा रही है। इस सर्वे में विभागीय टीम के साथ ही वन्यजीव संस्थान देहरादून के रिसर्च स्कॉलर, अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल रहेेंगे।
1984 में प्रारंभ हुई वार्षिक गणना सर्वे
वर्ष 1978 में संरक्षित किए गए राष्ट्रीय घडिय़ाल चंबल अभयारण्य के 435 किलोमीटर के इलाके में वर्ष 1984 में वार्षिक गणना शुरू की गई। हालांकि वर्ष 2016 तक केवल चंबल के 435 किलोमीटर दायरे में ही गणना होती थी, लेकिन वर्ष 2017 में इस गणना मेेंंं श्योपुर जिले की सीमा में पार्वती नदी का 60 किलोमीटर का हिस्सा भी शामिल किया गया।
गत वर्ष मिले थे 1859 घडिय़ाल
वर्ष 2020 में घडिय़ाल अभयारण्य में हुई वार्षिक जलीय जीव गणनेा में 1859 घडिय़ाल पाए गए थे। वहीं 710 मगरमच्छ मिले। विशेष बात यह है कि श्योपुर से भिंड तक फैले इस चंबल अभयारण्य में घडिय़ालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
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