उल्लेखनीय है बीते तीन साल से चंबल से पानी लाने का प्लान फाइलों में चल रहा है, जिसकी डीपीआर बनाकर शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन जब तक चंबल घडिय़ाल अभयारण्य की एनओसी नहीं मिलेगी, तब तक शासन से प्रोजेक्ट को स्वीकृति नहीं मिलेगी। यही वजह है कि नपा प्रशासन श्योपुर ने कुछ माह पूर्व घडिय़ाल अभयारण्य प्रशासन को एनओसी का आवेदन दिया, जिसके परिपालन में मंगलवार को डीएफओ घडिय़ाल अभयारण्य एए अंसारी व उनकी टीम नपा के इंजीनियर्स के साथ जिले के चंबल के पाली घाट पर जाकर धरातलीय स्थितियों का जायजा लेगी। उसके बाद ही एनओसी पर निर्णय होगा। श्योपुर शहर को एनओसी मिलने की उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि मुरैना को घडिय़ाल अभयारण्य से एनओसी मिल गई है और वहां प्रोजेक्ट भी स्वीकृत हो गया है।
67 करोड़ का प्रोजेक्ट, मेंटेनेंस सहित 107 करोड़ आएगी लागत
श्योपुर शहर में चंबल से पानी लाने के लिए डीपीआर बनाकर शासन को भेजी गई है, उसमें प्रोजेक्ट की लागत 67 करोड़ आंकी गई है। इसके साथ ही 10 साल तक प्रोजेक्ट के मेेंटेनेंस की लागत जोड़कर शासन से कुल 107 करोड़ रुपए की डीपीआर भेजी गई है। जिसमें पाली घाट पर इंटकवेल बनाया जाकर पाइप लाइन के माध्यम से श्योपुर शहर में पानी लाया जाएगा। इसके साथ ही शहर में भी नवीन लाइनें बिछाई जाएगी।
घडिय़ाल विभाग को हमने एनओसी के लिए आवेदन दिया है, इसी को लेकर उनकी टीम मंगलवार को श्योपुर आने की संभावना है। हमारे इंजीनियर्स उनकी टीम के साथ जाकर निरीक्षण करेंगे।
पीके सिंह, सीएमओ, नपा श्योपुर
नगरपालिका श्योपुर का वाटर प्रोजेक्ट के लिए एनओसी का आवेदन लंबित है, उसी को लेकर मंगलवार को जाएंगे। निरीक्षण के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
एए अंसारी, डीएफओ, चंबल अभयारण्य मुरैना