बताया गया है कि सरकार के नए आदेश में किसानों की ऋणमाफी में सहकारी संस्थाओं को सरकार पूरी राशि नहीं देगी बल्कि 25 से 50 फीसदी तक राशि सहकारी संस्थाओं को भी वहन करनी पड़ेगी। इस नए आदेश से आर्थिक तंगी से जूझ रही संस्थाओं के हाथ पांव फूल गए हैं। इसी को लेकर मध्यप्रदेश सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेशव्यापी विरोध भी शुरू हो गया है।
बताया गया है कि पिछले दिनों सहरिकता अपर आयुक्त ने आदेश जारी कर कहा है कि फसल ऋण माफी योजना में शासन द्वारा पीए ऋण(अकालातीत) कर 100 प्रतिशत, सब स्टैंडर्ड (कालातीत दिनांक से 1 से 2 वर्ष तक) ऋण पर 75 प्रतिशत तथा डाउटफुल ऋणों (2 वर्ष से अधिक कालातीत) के विरुद्ध 50 फीसदी की राशि बैंकों के माध्यम से पैक्स समितियों को उपलब्ध कराई जानी है। इस आदेश के बाद कालातीत(ओवरड्यू) ऋणों पर सहकारी संस्थाओं को 25 से 50 फीसदी राशि भुगतनी होगी।
संस्था प्रबंधकों ने दिया ज्ञापन
सहकारी समितियों को कर्ज की राशि भुगतने के आदेश के विरोध में संस्था प्रबंधकों ने मंगलवार को प्रदेशव्यापी ज्ञापन दिया। श्योपुर में भी महासंघ के बैनर तले सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारी कलक्ट्रेट पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार ओपी राजपूत को सौंपा। सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि नए निर्देशों से सहकारी समितियों को भारी नुकसान हो रहा है, जिसकी भरपाई करना बहुत ही मुश्किल है। संस्थाओं की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण हमें प्रदेश व जिलास्तर पर आंदोलन करना पड़ रहा है। ऐसे में आदेश पर पुनर्विचार किया जाए। ज्ञापन देने वालों में सहकारिता समिति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष हरिओम गुर्जर, मुकुट बिहारी, रामेश्वर मीणा आदि सहित अन्य लोग मौजूद रहे।