ओलावृष्टि से 30 से 70 फीसदी तक खराब हुई फसलें
ओलावृष्टि ने रंगहीन की विजयपुर क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के किसानों की होली, अब प्रशासन के मुआवजे की आस

श्योपुर,
ग्राम सालाअठैयापुरा के किसान महेश कुशवाह ने जैसे तैसे साहूकारों से कर्ज लेकर फसल की। बीते चार-पांच महीने से फसल का बच्चों की तरह से पालन कर रहे थे, लेकिन ओलावृष्टि से पल भर में 6 बीघा में गेहूं और सरसों की फसल तबाह कर दी। दरगवां गांव की किसान भगवती कुशवाह के परिवार ने किसी दूसरे की जमीन बंटाई पर ली थी और सरसों की फसल की, लेकिन ओलों ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया।
ये केवल दो किसानों की कहानी नहीं है, बल्कि विजयपुर क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के उन किसानों की कहानी है, जिनकी महीनों की मेहनत पर गुरुवार की शाम को हुई ओलावृष्टि से पल भर में पानी फेर दिया। ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए शुक्रवार की सुबह से ही राजस्व अफसर और मैदानी अमला खेतों में उतर गया है। हालांकि अभी सर्वे रिपोर्ट आना बाकी है, लेकिन प्रारंभिक आंकलन में 30 से 70 फीसदी तक फसलों में नुकसान माना जा रहा है। ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल के कारण पीडि़त किसानों को रंगों का त्यौहार होली भी रंगहीन हो गया है। ऐसे में किसानों की आस अब शासन-प्रशासन से मिलने वाला मुआवजे पर टिकी है।
इन गांवों में हुआ फसलों को नुकसान
यूं तो पिछले एक सप्ताह से मौसम गड़बड़ाया हुआ है, लेकिन गुरुवार की शाम को विजयपुर क्षेत्र में एक पूरी पट्टी के दो दर्जन गांवों में ओलावृष्टि कहर बनकर टूटी है। किसानों के मुताबिक गोहटा, पचनया, काठौन, दोर्द, मेवरा, बिचपुरी, बरा, रनावद, खितरपाल, उपचा, भैंसाई, सुनवई, बरदुला, चुन्नीपुरा, अठैयापुरा, कुंडीपुरा, काबुली, पटपरा आदि गांवों में सरसों, चना और गेहूं की फसल खराब हो गई है। पकी हुई सरसों की बालियां झड़ गई हैं तो चना और गेहूं की फसल आड़ी पड़ गई हैं और बालियां टूट गई हैं।
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