राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की संस्कृति से परिपूर्ण जिले के बड़ौदा बत्तीसा क्षेत्र में शासकीय कॉलेज की मांग बीते एक दशक से उठ रही है। इसके लिए छात्र नेता और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कई बार शासन-प्रशासन के समक्ष ज्ञापन आदि देकर मांग भी रख चुके हैं। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल होना तो दूर प्रस्ताव भी नहीं बन पाया है। विशेष बात यह है कि 25 जून 2017 को श्योपुर आए तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कराहल और ढोढर में कॉलेज खोलने की घोषणा तो की, लेकिन बड़ौदा को छोड़ दिया। यही वजह है कि वर्ष 2018 के सत्र से कराहल और ढोढर कॉलेज तो अस्तित्व में आ गए, लेकिन बड़ौदा को अभी इंतजार करना पड़ रहा है। जबकि ढोढर-कराहल के कॉलेजों में जितने छात्र प्रवेशित हैं, उससे ज्यादा बड़ौदा क्षेत्र के छात्र-छात्राएं श्योपुर जिला मुख्यालय के पीजी कॉलेज में अध्यनरत हैं।
बड़ौदा नगर में शासकीय कॉलेज नहीं होने के कारण कई छात्राएं 12वीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके अभिभावक उन्हें बाहर पढऩे नहीं जाने देते। यही वजह है कि बड़ौदा में कॉलेज खोलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वर्तमान में बड़ौदा के लगभग तीन सैकड़ा बच्चे शासकीय पीजी कॉलेज में प्रवेशित हैं, जिनमें अधिकांश तो बड़ौदा से अपडाउन करते हैं और कई श्योपुर में किराए से कमरा लेकर रहने को मजबूर हैं।
हर साल निकलते हैं तीन सैकड़ा बच्चे
बत्तीसा क्षेत्र में पांच सरकारी हायरसैकंडरी स्कूल (बड़ौदा, राड़ेप, मकड़ावदा, पांडोला और रतोदन) है, जबकि आधा दर्जन निजी स्कूल हैं। इन सभी स्कूलों में हर साल 12वीं पास करने के बाद लगभग तीन सैकड़ा बच्चे निकलते हैं। लेकिन बड़ौदा में कॉलेज नहीं होने के चलते ये बच्चे या तो बाहर जाने को मजबूर होते हैं या फिर पढ़ाई छोडऩे को।
बड़ौदा के संबंध में छात्र आदि की जानकारी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में मांगी गई थी, जिसे भिजवाया जा चुका है। कॉलेज खोलने का निर्णय शासनस्तर से होता है।
एसडी राठौर
प्राचार्य, शासकीय पीजी कॉलेज श्योपुर