श्योपुर जिले में शिक्षकों के गैर शिक्षिकीय कार्य में अटैचमेंट की समस्या काफी पुरानी है, जिन्हें रिलीव करने के लिए कई कलेक्टर आदेश जारी कर चुके हैं। लेकिन बीते साढ़े आठ माह में दो कलेक्टरों ने दो आदेश जारी किए, लेकिननतीजा आज भी ढाक के तीन पात है। बताया गया है कि 26 जुलाई 2021 को तत्कालीन कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव ने एक आदेश जारी कर सभी शिक्षकों को विभागीय कार्यालयों से रिलीव करने के आदेश जारी किए, लेकिन उस आदेश को धता बता दिया गया। अब गत 7 अप्रेल को कलेक्टर शिवम वर्मा ने विधानसभा के एक प्रश्न और कमिश्नर के पत्र का हवाला देते हुए एक नया आदेश जारी किया, जिसमें शिक्षकों के अटैचमेंट खत्म कर दिए, लेकिन अभी भी दर्जनों शिक्षक अटैचमेंट पर जमे हैं। विशेष बात यह है कि 18 दिसंबर 2020 को लोक शिक्षण संचालनालय के तत्कालीन संचालक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया, जिसमें पूरे प्रदेश में शिक्षकों का अटैचमेंट खत्म करने के लिए कहा गया, लेकिन जिले में उसका भी पालन नहीं हुआ।
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एनआइसी का स्थाई कर्मचारी हो गया शिक्षक
जिले में एक शिक्षक तो श्योपुर कलेक्ट्रेट स्थित एनआइसी में स्थाई कर्मचारी सा हो गया है। आदिम जाति कल्याण विभाग के शिक्षक पवन जैन तो पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से एनआइसी में अटैच हैं और कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहे हैं, जबकि ये काम कलेक्टर दर मानदेय प्राप्त करने वाला कोई कंप्यूटर ऑपरेटर भी कर सकता है। यही वजह है कि प्रशासनिक अफसरों के आदेशों पर भी अब सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि निर्वाचन शाखा कराहल के साथ ही कलेक्ट्रेट स्थिति श्योपुर एनआइसी, डीइओ कार्यालय, डीपीसी कार्यालय, डाइट, जिला पंचायत, बीइओ कार्यालय कराहल आदि विभागों में शिक्षक अटैचमेंट पर जमे हैं और गैर शिक्षिकीय कार्य कर रहे हैं।