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धवल चांदनी में अमृत के समान हो जाती है खीर

locationश्योपुरPublished: Oct 12, 2019 11:30:56 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastav

शरद पूर्णिमा आज, इस दिन से शीत ऋतु का होता है आगाज, पुराणों में इस रात का बड़ा महत्व
 
 

धवल चांदनी में अमृत के समान हो जाती है खीर

धवल चांदनी में अमृत के समान हो जाती है खीर

श्योपुर. वर्षा ऋतु की विदाई और शीत ऋतु अगवानी के लिए मनाया जाने वाला शरद पूर्णिमा का पर्व आज 13 अक्टूबर को शहर सहित जिले भर में मनाया जाएगा। इसके लिए घरों व मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई है। शहर के सभी मंदिरों पर रात्रि 10 बजे भगवान की आरती की जाएगी, उसके बाद खीर प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं को किया जाएगा।
पुराणों में शरद पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के साथ ही शीत ऋतु प्रारंभ हो जाती है। शरद पूर्णिमा पर शिवनगरी सहित जिले भर के मंदिरोंं पर देव प्रतिमाओं को धवल चांदनी में विराजित कर खीर का भोग लगाए जाने तथा उसे वितरित किए जाने का परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस पर्व पर मंदिरों पर विशेष रूप से बनाई जाने वाली खीर को चांदनी रात में शीतल होने के लिए रखा जाता है जिसका वितरण मध्यरात्रि पूर्व श्रद्धालुओं को किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रदेवता अपनी किरणों के रूप में धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं तथा उसके संपर्क में आकर नैवेद्य रूपी खीर भी अमृत-तुल्य हो जाती है जो आरोग्यप्रद व आयुवद्र्धक होती है। इस पर्व पर चांदनी रात में सुई में धागा पिरोने की परंपरा भी पुराने समय से चली आ रही है तथा यह माना जाता है कि ऐसा करने से नेत्रज्योति दिव्य होती है।
श्रीमद्भागवत में चंद्रमा को बताया औषधि का देवता

श्रीमदभागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है। चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर अमृत की वर्षा करता है। मान्यताओं से अलग वैज्ञानिकों ने भी इस पूर्णिमा को खास बताया है, जिसके पीछे कई सैद्धांतिक और वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए हैं। इस पूर्णिमा पर चावल और दूध से बनी खीर को चांदनी रात में रखकर सुबह 4 बजे सेवन किया जाता है। इससे रोग खत्म हो जाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
वैज्ञानिक शोध में चांदी के बर्तन में खीर का सेवन करना लाभप्रद

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार इस दिन दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। इस दिन बनने वाला वातावरण दमा के रोगियों के लिए विशेषकर लाभकारी माना गया है।
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