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गरीब कन्याओं के पाणिग्रहण पर आचार संहिता का ग्रहण

locationश्योपुरPublished: May 01, 2019 08:35:44 pm

Submitted by:

jay singh gurjar

गरीब कन्याओं के पाणिग्रहण पर आचार संहिता का ग्रहणजिले में इस बार अक्षय तृतीय पर नहीं होंगे सरकारी सामूहिक विवाह सम्मेलन, अपनी बेटियों की घरों से शादियां करने को मजबूर गरीब परिवार

श्योपुर,
अपनी बेटियों के हाथ पीले करने की आस में बैठे सैकड़ों गरीब अभिभावक इस आखातीज (अक्षयतृतीया) सरकारी मदद से कन्यादान नहीं कर पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता होने के कारण इस बार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है।
जिसके चलते इस बार अक्षयतृतीया पर एक भी सरकारी सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं होगा, जिसके चलते कई गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी घरों से ही करने को मजबूर हैं। हालांकि चुनावी आचार संहिता बाद योजना के सम्मेलन होने की संभावना है, लेकिन अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा के अबूझ सहालग इससे पहले ही निकल जाएंगे, जिन पर ही अधिकांशतया सामूहिक विवाह सम्मेलन होते हैं।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत हर साल जिले में दर्जन भर से अधिक सामूहिक विवाह सम्मेलनों के माध्यम से सैकड़ों कन्याओं के हाथ पीले होते हैं। इसी के तहत वर्ष 2017-18 में जहां 777 कन्याओं के विवाह हुए, वहीं वर्ष 2018-19 में 1245 कन्याओं के हाथ पीले किए गए। लेकिन अब 2019-20 का सत्र शुरू हुआ तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का रोड़ा आ गया, लिहाजा 7 मई को अक्षयतृतीय के अबूझ सहालग पर कोई भी सरकारी विवाह सम्मेलन नहीं होगा। यही वजह है कि योजनाओं के विवाह सम्मेलनों का इंतजार करने के बाद अब कई अभिभावक या तो घरों से ही शादियां करने को मजबूर हैं या फिर अपने समाज के विवाह सम्मेलन में जा रहे हैं।
कराहल में तीन सैकड़ा आदिवासी बेटियों की शादी में रोड़ा
जिले के आदिवासी विकासखंड कराहल में ही लगभग तीन सैकड़ा से अधिक आदिवासी बेटियां हैं, जिनकी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शादी हो सकती थी, लेकिन आचार संहिता ने इनकी शादी में अड़ंगा लगा दिया है। यही वजह है कि अब अभिभावक घरों से ही शादियां करने को मजबूर हैं। चूंकि येाजना के तहत कराहल ब्लॉक में आदिवासी समाज के सम्मेलन आयोजित सैकड़ों कन्याओं के हाथ पीले किए जाते हैं, इसलिए इस बार भी जब आदिवासी परिवार फसल कटाई के बाद वापिस लौटे तो उन्होंने योजना के सरकारी सम्मेलनों की तलाशी की। लेकिन जब आचार संहिता के चलते सम्मेलन नहीं होने की जानकारी मिली तो अब गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी घरों से ही कर रहे हैं।
बस्ती के सहयोग से रजनी के हाथ हुए पीले
कराहल के चारखंभा सहराना निवासी रग्गू आदिवासी योजना के सम्मेलन के इंतजार में बैठे हुए थे। लेकिन सम्मेलन नहीं हुआ तो अब उन्होंने बेटी की शादी की तारीख 15 मई तय कर दी है, जिसमें अब 80 से 90 हजार खर्च होने की बात रग्गू कह रहे हैं। ऐसे में योजना में सम्मेलन होता तो शादी का भार कम हो जाता। वहीं ग्राम अधवाड़ा मेंं पिता नत्थू आदिवासी की एक साल पूर्व निधन हो जाने के कारण उनकी बेटी रजनी का विवाह तीन दिन पूर्व ही ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से किया। यदि योजना का विवाह सम्मेलन होता तो उसे भी सरकारी मदद मिल जाती।

अब मिलते हैं 51 हजार रुपए
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत गत वर्ष 28 हजार रुपए का प्रावधान था। लेकिन अब जनवरी में हुए एक आदेश के मुताबिक योजना के तहत 51 हजार रुपए का प्रावधान किया गया है। जिसमें सम्मेलन के लिए जनपद व नगरीय निकाय को एक जोड़े के लिए 3 हजार रुपए की राशि दी जाती है, जबकि शेष 48 रुपए की राशि लड़की के खाते में डाली जाती है।
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