जिले के आदिवासी विकासखंड कराहल में ही लगभग तीन सैकड़ा से अधिक आदिवासी बेटियां हैं, जिनकी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शादी हो सकती थी, लेकिन आचार संहिता ने इनकी शादी में अड़ंगा लगा दिया है। यही वजह है कि अब अभिभावक घरों से ही शादियां करने को मजबूर हैं। चूंकि येाजना के तहत कराहल ब्लॉक में आदिवासी समाज के सम्मेलन आयोजित सैकड़ों कन्याओं के हाथ पीले किए जाते हैं, इसलिए इस बार भी जब आदिवासी परिवार फसल कटाई के बाद वापिस लौटे तो उन्होंने योजना के सरकारी सम्मेलनों की तलाशी की। लेकिन जब आचार संहिता के चलते सम्मेलन नहीं होने की जानकारी मिली तो अब गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी घरों से ही कर रहे हैं।
कराहल के चारखंभा सहराना निवासी रग्गू आदिवासी योजना के सम्मेलन के इंतजार में बैठे हुए थे। लेकिन सम्मेलन नहीं हुआ तो अब उन्होंने बेटी की शादी की तारीख 15 मई तय कर दी है, जिसमें अब 80 से 90 हजार खर्च होने की बात रग्गू कह रहे हैं। ऐसे में योजना में सम्मेलन होता तो शादी का भार कम हो जाता। वहीं ग्राम अधवाड़ा मेंं पिता नत्थू आदिवासी की एक साल पूर्व निधन हो जाने के कारण उनकी बेटी रजनी का विवाह तीन दिन पूर्व ही ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से किया। यदि योजना का विवाह सम्मेलन होता तो उसे भी सरकारी मदद मिल जाती।
अब मिलते हैं 51 हजार रुपए
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत गत वर्ष 28 हजार रुपए का प्रावधान था। लेकिन अब जनवरी में हुए एक आदेश के मुताबिक योजना के तहत 51 हजार रुपए का प्रावधान किया गया है। जिसमें सम्मेलन के लिए जनपद व नगरीय निकाय को एक जोड़े के लिए 3 हजार रुपए की राशि दी जाती है, जबकि शेष 48 रुपए की राशि लड़की के खाते में डाली जाती है।