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हर साल पुरुष नसबंदी में पिछड़ रहा जिला

locationश्योपुरPublished: Dec 07, 2019 02:42:28 pm

Submitted by:

Anoop Bhargava

5 साल 13 हजार 907 महिलाओं की नसबंदी, पुरुषों की सिर्फ 14- नसबंदी शिविर में अधिक संख्या में पहुंचती हैं महिलाएं

हर साल पुरुष नसबंदी में पिछड़ रहा जिला

हर साल पुरुष नसबंदी में पिछड़ रहा जिला

श्योपुर
स्वास्थ विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी पुरुष नसबंदी के मामले में जिला फिसड्डी साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि जिले में पांच साल में 13 हजार 907 महिलाओं ने नसबंदी कराई, लेकिन पुरुष सिर्फ 14 ही आगे आए। जबकि महज 500 पुरुष नसबंदी ऑपरेशन का लक्ष्य मिलता है।
पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो विभाग 500 पुरुष नसबंदी के लक्ष्य के मुकाबले पुरुष नसंबदी में दहाई के अंक तक नहींं पहुंच पा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि इस तरह की स्थितियां होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के पास पुरुषों को नसबंदी के लिए आगे लाने कोई ठोस योजना नहीं है। स्वास्थ्य विभाग हर साल पुरुष नसबंदी को लेकर न केवल लक्ष्य तय करता है। बल्कि शिविर और मैदानी अमले की ताकत भी झोंकता है। लेकिन विभाग की कोशिशों को कामयाबी के पंख नहीं लग सके। इसका खुलासा भी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कर रहे हैं। जिससे जिले में नसबंदी की स्थिति साफ हो गई है।
लक्ष्य घटा फिर भी टारगेट पूरा नहीं
नसबंदी ऑपरेशन के लक्ष्य को 2012 के बाद घटा दिया गया। फिर भी स्वास्थ्य विभाग लक्ष्य के मुताबिक नसबंदी ऑपरेशन नहीं कर पा रहा है। वर्ष 2016-17 में स्वास्थ्य विभाग को 5000 नसबंदी ऑपरेशन कराने का लक्ष्य दिया गया है। मगर 3852 ही नसबंदी ऑपरेशन हुए। वर्ष 2017-18 में 4500 नसबंदी ऑपरेशन का लक्ष्य मिला। ऑपरेशन 3300 हो सके। वर्ष 2018-19 में मिले 5000 लक्ष्य के मुकाबले 3900 नसबंदी पाईं।
पिछले साल सात और अब तक सिर्फ एक पुरुष नसबंदी
जिले में पुरुष नसबंदी ऑपरेशन की स्थिति ज्यादा खराब है। वर्ष 2018-19 में जहां 7 पुरुष नसबंदी हो सकी है। वहीं इसके पहले वर्ष 2017-18 में महज एक और अब तक भी सिर्फ एक पुरुष नसबंद हो पाई है।
प्रोत्साहन सबसे ज्यादा फिर भी अधूरा लक्ष्य
नसबंदी कराने के लिए पुरूषों को सरकार जहां न 3000 रुपए देती है। वहीं महिलाओं को यह प्रोत्साहन राशि 2000 रुपए दी जाती है। महिलाओं से ज्यादा राशि पुरूर्षों को मिलने के बाद भी वे नसबंदी को लेकर जागरूक नहीं दिखाई दे रहे है। पुरुष नसबंदी पखवाड़ा भी स्वास्थ्य विभाग को दहाई के अंक तक नहीं पहुंचा पाता।
यह मिथक जो पुुरुषों को करते हैं पीछे
नसबंदी में पुरुषों के फिसड्डी रहने के पीछे यदि असल कारणों को जाना जाए तो सामने आता है कि ज्यादातर पुरुष सोचते हंै कि नसबंदी करवाने से उनकी मर्दाना शक्ति में गिरावट आ जाएगी लेकिन चिकित्सकों के मुताबिक ऐसा कुछ नहीं है। अधिकांश पुरुष नसबंदी कराने में शर्म महसूस भी करते हैं। जबकि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष नसबंदी आसान है। चिकित्सक के मुताबिक पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन आसान है। इसमें अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन के बाद पुरुष चलकर भी घर जाने की हालत में रहता है। पुरुष नसबंदी गर्भ रोकने का एक स्थायी तरीका भी है।
फैक्ट फाइल
वर्ष कुल लक्ष्य कुल पूर्ति पुरुष नसबंदी
2015-16 4500 2359 01
2016-17 5000 3848 04
2017-18 4500 3300 01
2018-19 5000 3900 07
2019-20 4739 500 01
वर्जन
पुरुष नसबंदी लक्ष्य की पूर्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। बावजूद इसके नसबंदी को लेकर पुरुषों में कई तरह की भ्रांतियों के चलते वे नसबंदी के लिए आगे नहीं आते। फिर भी हम लक्ष्य पूर्ति का प्रयास करते हैं।
डॉ.ओपी वर्मा
नोडल अधिकारी, परिवार कल्याण कार्यक्रम, श्योपुर
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