धर्म की रक्षा के लिए अवतरित होते है भगवान
भागवत कथा के चौथे दिन कथा पांडाल में धूमधाम से मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
श्योपुर
जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया। धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया।
यह बात शहर के पाली रोड स्थित श्री रामजानकी मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास हरिराम आचार्यने श्रद्धालुओं के बीच कही। बुधवार को भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया। कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा पांडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जय जय कार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। कथा व्यास ने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें।
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