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दो साल से स्कूलों के दो-दो कमरों में संचालित हो रहे रहे सरकारी कॉलेज

locationश्योपुरPublished: Jul 22, 2020 11:18:21 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

शासन ने कहने को भले ही कराहल और ढोढर में कॉलेज खोल दिए हों, लेकिन दो साल बाद भी दोनों ही कॉलेजों को स्वयं का भवन नहीं मिल पाया है। स्थिति यह है कि दो साल में भवन बनना तो दूर अभी तक इस संंबंध में प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई हैै। यही वजह है कि दोनों कॉलेज उधार के स्कूल भवनों के दो-दो कमरों में संचालित हो रहे हैं।

दो साल से स्कूलों के दो-दो कमरों में  संचालित हो रहे रहे सरकारी कॉलेज

दो साल से स्कूलों के दो-दो कमरों में संचालित हो रहे रहे सरकारी कॉलेज

श्योपुर/ढोढर/कराहल. शासन ने कहने को भले ही कराहल और ढोढर में कॉलेज खोल दिए हों, लेकिन दो साल बाद भी दोनों ही कॉलेजों को स्वयं का भवन नहीं मिल पाया है। स्थिति यह है कि दो साल में भवन बनना तो दूर अभी तक इस संंबंध में प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई हैै। यही वजह है कि दोनों कॉलेज उधार के स्कूल भवनों के दो-दो कमरों में संचालित हो रहे हैं।

जिसके चलते छात्रों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। वर्ष 2017 में ढोढर और कराहल आए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों जगह कॉलेज खोलने की घोषणा की, जिसके बाद वर्ष 2018-19 के सत्र से कॉलेज अस्तित्व में भी आ गए। लेकिन भवन अभी तक नहीं बने हैं। विशेष बात यह है कि दोनों ही जगह जमीन भी आवंटित हो गई है, बावजूद इसके उच्च शिक्षा विभाग कॉलेज भवन स्वीकृत नहीं कर पाया है और नही प्रक्रिया शुरू कर पाया है।
पुराने मिडिल स्कूल में चल रहा ढोढर कॉलेज
जिले के ढोढर कस्बे में वर्ष 2018-19 के सत्र से प्रारंभ हुए शासकीय महाविद्यालय वर्तमान में कस्बे के ही पुराने मिडिल स्कूल भवन के दो कमरों में चल रहा है। यहां वर्तमान में 156 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं। यहां तीन स्थाई प्रोफेसर पदस्थ हैं, जबकि तीन अतिथि विद्वान हैं। बताया गया है कि गत वर्ष कॉलेज के नए भवन के लिए लगभग पांच हेक्टेयर जमीन भी आवंटित हो गई, लेकिन भवन बनाने के लिए अभी तक कोई प्रयास शुरू नहीं हो पाए हैं।
कराहल कॉलेज की कक्षाएं मॉडल स्कूल में
आदिवासी विकासखंड मुख्यालय पर भी वर्ष 2018-19 सत्र में शासकीय महाविद्यालय प्रारंभ हुआ, लेकिन यहां भी स्वयं का भवन नहीं होने के कारण शासकीय मॉडल स्कूल के दो कमरों में ये कॉलेज चल रहा है। कॉलेज में वर्तमान में कुल 112 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं। यहां भी तीन स्थाई प्रोफेसर पदस्थ हो चुके हैं, लेकिन तीन अतिथि विद्वान भी हैं। कॉलेज के भवन के लिए यहां आठ हेक्टेयर जमीन आवंटित हो गई, लेकिन भवन निर्माण की दिशा में कोई प्रगति नहीं है। विशेष बात यह है कि आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए ये कॉलेज महत्वपूर्ण है, बावजूद इसके यहां अभी तक भवन नहीं बन पाया है।
दोनों ही जगह जमीन आवंटन की प्रक्रिया हो चुकी है, अब भवन निर्माण के संबंध में शासनस्तर से ही निर्णय लिया जाना है।
डॉ.एसडी राठौर, प्राचार्य, शासकीय लीड कॉलेज श्योपुर

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