जिले में बीते एक दशक से ट्यूबवेल से खेतों में सिंचाई का चलन बढ़ा है। यही वजह है कि वर्तमान में लगभग 20 हजार के आसपास निजी ट्यूबवेल है और ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। अभी बीते एक माह में ही जिले में लगभग एक हजार नए बोर खनन हुए हैं, जिसमें से छह सैकड़ा तो अकेले श्योपुर विकासखंड में ही है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां 50 से 100 मीटर की दूरी के बीच ही ट्यूबवेल हैं।
धान की फसल श्योपुर के लिए होगी घातक
जिले में अल्पवर्षा की स्थितियों के बावजूद धान का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक धान की फसल उस क्षेत्र में होनी चाहिए जहां न्यूनतम औसत बारिश 1000 मिमी हो, लेकिन इसके उलट श्योपुर की औसत बारिश 822 मिमी और कई बार तो बारिश का आंकड़ा इस औसत से भी नीचे रहते हैं। बावजूद इसके श्योपुर जिले में धान का रकबा 30 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। हालांकि इसको लेकर ब्यूरोक्रेट, जनप्रतिनिधि और सरकार तो कहने से बचते हैं, लेकिन ये स्वयं किसानों को सोचना पड़ेगा और कम पानी फसलों के साथ ही ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति की ओर जाना पड़ेगा।