श्योपुर

10 साल में 50 फीट गिरा श्योपुर का भूजल, अंधाधुध हो रहा दोहन

10 साल में 50 फीट गिरा श्योपुर का भूजल, अंधाधुध हो रहा दोहनबीते 18 सालों में 11 बार जिले में रही अल्पवर्षा की स्थति, लगभग 20 हजार निजी और साढ़े छह हजार सरकारी ट्यूबवेलों से हो रहा दोहन, इस वर्ष भी एक माह में ही हो गई एक हजार नई बोर

श्योपुरJul 12, 2019 / 08:37 pm

jay singh gurjar

10 साल में 50 फीट गिरा श्योपुर का भूजल, अंधाधुध हो रहा दोहन

श्योपुर,
नदियों से घिरे श्योपुर जिले में भूजल का भंडार रीत रहा है। बीते एक दशक में ही जिले में लगभग 50 फीट तक औसत भूजलस्तर गिर चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते डेढ़ दशक में जिला अधिकांशतया अल्प वर्षा के फेर में ही रहा है तो जिले में साल दर साल बढ़ रही ट्यूबवेलों से बेतहाशा भूजल का दोहन हो रहा है। हालांकि अब जलशक्ति कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार पूरे देश में जलसंरक्षण के लिए अभियान छेडऩे जा रही है, लेकिन यदि श्योपुर में समय रहते नहीं चेते तो न केवल हालात बेकाबू हो जाएंगे बल्कि श्योपुर भी ड्राय जोन बन जाएगा।
भू अभिलेख विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते 18 सालों में श्योपुर जिले में 11 बार अल्पवर्षा (जिले की औसत बारिश 822 मिमी से कम) की स्थिति रही है, जबकि महज 7 बार औसत से ज्यादा बारिश हुई है। यही वजह है कि जिले का औसत भूजलस्तर लगातार गिर रहा है। पीएचई विभाग के मुताबिक 10 साल पूर्व जिले का औसत भूजलस्तर 100 से 110 फीट के आसपास था, जो अब बढ़कर 150 से 160 फीट तक पहुंच गया है। यही नहीं जिले के कुछ तो ऐसे इलाके हैं, जहां का भूजलस्तर 400 से 500 फीट तक पहुंच गया है, उसके बाद भी पानी नहीं निकल रहा है। इन सबके बावजूद जिले में भूजल का बेतहाशा दोहन हो रहा है। लेकिन इस दिशा में कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है, जिसके चलते स्थिति प्रतिकूल होती जा रही है।
बीते एक माह में ही हो गए एक हजार नई बोरिंग
जिले में बीते एक दशक से ट्यूबवेल से खेतों में सिंचाई का चलन बढ़ा है। यही वजह है कि वर्तमान में लगभग 20 हजार के आसपास निजी ट्यूबवेल है और ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। अभी बीते एक माह में ही जिले में लगभग एक हजार नए बोर खनन हुए हैं, जिसमें से छह सैकड़ा तो अकेले श्योपुर विकासखंड में ही है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां 50 से 100 मीटर की दूरी के बीच ही ट्यूबवेल हैं।

धान की फसल श्योपुर के लिए होगी घातक
जिले में अल्पवर्षा की स्थितियों के बावजूद धान का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक धान की फसल उस क्षेत्र में होनी चाहिए जहां न्यूनतम औसत बारिश 1000 मिमी हो, लेकिन इसके उलट श्योपुर की औसत बारिश 822 मिमी और कई बार तो बारिश का आंकड़ा इस औसत से भी नीचे रहते हैं। बावजूद इसके श्योपुर जिले में धान का रकबा 30 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। हालांकि इसको लेकर ब्यूरोक्रेट, जनप्रतिनिधि और सरकार तो कहने से बचते हैं, लेकिन ये स्वयं किसानों को सोचना पड़ेगा और कम पानी फसलों के साथ ही ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति की ओर जाना पड़ेगा।

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