scriptयहां पीर की मजार पर लगता है गुरूपूर्णिमा का मेला | Here's a guruparnima fair on Piar Mazar | Patrika News

यहां पीर की मजार पर लगता है गुरूपूर्णिमा का मेला

locationश्योपुरPublished: Jul 15, 2019 08:54:08 pm

Submitted by:

jay singh gurjar

यहां पीर की मजार पर लगता है गुरूपूर्णिमा का मेलाजिले के मानपुर क्षेत्र के ग्राम मेवाड़ा में गुरूपूर्णिमा की अनूठी परंपरा, सांप्रदायिक सद्भाव की भी मिशाल

sheopur

यहां पीर की मजार पर लगता है गुरूपूर्णिमा का मेला

श्योपुर,
गुरूपूर्णिमा पर यूं तो गुरुधामों पर अलग ही रंगत दिखती है, लेकिन श्योपुर जिले के ग्राम मेवाड़ा में गुरूपूर्णिमा पर पीर बाबा की मजार पर मेला लगता है। गांव में इस अनूठी परंपरा के दौरान पीर बाबा की मजार पर चूरमा-बाटी का भोग भी लगाया जाता है। जाहिर है 99 फीसदी हिंदू आबादी वाले गांव में एक सूफी संत की मजार पर मेला और पूजा अर्चना करना, वो भी गुरूपूर्णिमा के दिन, अपने आप में एक सांप्रदायिक सद्भाव की अद्वितीय तस्वीर है।

स्थानीय निवासियों के मुताबिक लगभग पांच सौ साल पहले एक सूफी संत पीर बाबा ग्राम मेवाड़ा में रहते थे और यहां शांति व भाईचारे का संदेश देते थे। शांति व भाईचारे का संदेश देते हुए उन्होंने यहीं जिंदा समाधि ली थी। जिसके बाद उनके अनुयायियों ने उनकी मजार बनाई और तभी से हिंदूधर्मावलंबियों द्वारा पीर बाबा की पूजा अर्चना की जाती है। यूं तो गांव के लोग अन्य दिनों में भी पीर बाबा की मजार पर जाते हैं, लेकिन गुरूपूर्णिमा के दिन का विशेष महत्व है। जिसके चलते गुरूपूर्णिमा पर यहां मेवाड़ा के लोग एकत्रित होते हैं, बल्कि वो लोग भी आते हैं जो या मेवाड़ा छोड़कर बाहर रहे रहे हैँ, या फिर यहां के निवासियों के रिश्तेदार हैं। यही वजह है कि मेले में सांप्रदायिक सद्भाव साफ झलकता है।

हर घर में बनता है चूरमा-बाटी
हिंदू धर्मावलंबियों के प्रमुख त्यौहार गुरूपूर्णिमा पर मेवाड़ा में पीर बाबा की मजार पर लगने वाले इस मेले के खास बात यह है कि यहां मेवाड़ा के हर घर से भोग जाता है और वो भी चूरमा-बाटी का। यही वजह है कि लगभग 300 घरों के ग्राम मेवाड़ा में गुरूपूर्णिमा के दिन चूरमा-बाटी बनाई जाती है और परिजनों के खाने से पहले पीर बाबा की मजार पर भोग लगाया जाता है। यही वजह है कि गांव में गरीब और अमीर सभी चूरमा बाटी बनाकर कूंडा (भोग) चढ़ाते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो