आश्यिाने की आस में टूट रही गौवंश की सांसों की डोर
श्योपुरPublished: Dec 29, 2021 06:50:46 pm
- जिले में बननी थी 31 गौशाला, बनी सिर्फ 16, इनमें भी दो पानी-बिजली के चलते नहीं हो सकी शुरू
- 14 गौशाला में एक हजार सात गौवंश को आश्रय देने का सरकारी दावा
- इधर सड़क पर 7000 से ज्यादा गौवंश घूम रहा आवारा


आश्यिाने की आस में टूट रही गौवंश की सांसों की डोर
अनूप भार्गव/श्योपुर
गौवंश की सुरक्षा को लेकर शासन से लेकर प्रशासन कितना लापरवाह बना हुआ है। इसकी नजीर सड़क पर घूमते आवारा गौवंश से देखी जा सकती है। जिले में 31 गौशाला बनना थी, लेकिन बन पाईं सिर्फ 16, इनमें भी दो बिजली पानी के अभाव में बंद पड़ी हैं। लिहाजा गौशालाओं के अभाव में गौवंश की सांसों की डोर सड़क पर ही टूट रही है। सरकारी दावे में भले ही 14 गौशाला में एक हजार सात गौवंश को आश्रय देने की बात कही जा रही है, लेकिन हकीकत में इनमें भी आधी से ज्यादा में गौवंश तक नहीं है।
पशुपालन विभाग के रिकॉर्ड में जिले में 2 लाख 64 हजार 110 गोवंश हैं। वहीं करीब 8 हजार आवारा गौवंश। जबकि जिले में बनी 16 गौशालाओं में महज 1600 गौवंश को रखने की क्षमता है। ऐसे में 6 हजार 400 गौवंश सड़क पर ही घूमेगा। यानि संचालित गौशालाओं से आवारा गौवंश की समस्या में कोई अंतर नहीं आ पा रहा है। खासबात यह है कि 31 में से अब तक महज 16 गौशाला की ही स्वीकृति शासन से मिली। 15 गौशाला के निर्माण की स्वीकृति सरकार अब तक नहीं दे सकी है।