लगभग छह साल पूर्व पिछली भाजपा शासितक प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित किए गए इन्वेस्टर मीट के समय श्योपुर जिले में औद्योगिक प्रयोजन के लिए लैंड बैंक बनाई, जिसमें जिला प्रशासन ने चार स्थानों पर औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन आरक्षित की। इसमें श्योपुर जिला मुख्यालय पर 48.964 हेक्टेयर, ग्राम बगवाज में 31.317 हेक्टेयर, दांतरदा में 35.83 हेक्टेयर और ग्राम सामरसा में 6.260 हेक्टेयर भूमि उद्योग विभाग को आरक्षित भी गई। लेकिन चारों जगहों में से एक भी जगह एक भी उद्योग लगना तो दूर भूमि आवंटन प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है। बताया गया है कि श्योपुर जिला मुख्यालय पर आरक्षित 48.694 हेक्टेयर भूमि का श्योपुर विकास योजना में औद्योगिक प्रयोजन को परिवर्तन के लिए प्रस्ताव उद्योग संचालनालय द्वारा प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग को भेजा गया है, लेकिन अभी तक वहां से अनुमति नहीं मिल पाई है। जाहिर लैंड बैंक होने के बाद भी बड़े उद्योग लगना तो दूर लघु उद्योग इकाईयां भी स्थापित नहीं हो पाई है।
जहां एक ओर जिले में नए औद्योगिक क्षेत्र का सपना अधूरा है, वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय पर स्थापित लघु उद्योग इकाईयों का औद्योगिक क्षेत्र आधे से ज्यादा अतिक्रमण की चपेट में हैं। हांलाकि पांच साल पूर्व यहां से अतिक्रमण भी हटाया गया था, लेकिन स्थिति जस की तस है। वर्तमान में यहां कुछ लघु उद्योग इकाईयां संचालित हैं, लेकिन कुछ बंद भी पड़ी हैं। बावजूद इसके अभी तक प्रशासन ने यहां भी ध्यान नहीं दिया है।
धान मिल सहित कई औद्योगिक इकाईयों की संभावना
पिछड़े जिलों में शामिल श्योपुर औद्योगिक इकाईयों के विकसित होने की अपार संभावनाएं हैं। इसमें धान मिल, सुगर मिल, सहित वनोपज आधारित फैक्ट्रियां स्थापित की जा सकती हैं। जिसमें कच्चे माल की प्रचुरता भी है। औद्योगिक इकाईयां विकसित होंगी तो यहां के युवाओं को काम धंधे के लिए पलायन नही करना पड़ेगा।