चूंकि आदिवासी समाज की महिलाओं में अभी भी माहवारी(मासिक धर्म) के दौरान जागरुकता की कमी है। यही वजह है कि सेनेट्री पैड की जगह महिलाएं और बालिकाएं गंदे कपड़े, पत्ते या अन्य चीजों का उपयोग करती हैं। इससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा रहता है। यही वजह है कि व्यक्तित्व विकास संगठन श्योपुर जेसीआई ने सामाजिक गतिविधियों की दिशा में ये नई कार्ययोजना बनाई है। इसके लिए जेसीआई ने कलारना गांव को चिन्हित करते हुए यहां के 100 आदिवासी परिवारों को लिस्टेड किया है, जिसमें 12 से 20 वर्ष की 140 बालिकाएं हैं। अब इन 100 परिवारों की इन किशोरी-बालिकाओं को जेसीआई टीम मासिक धर्म और स्वच्छता के बारे जानकारी देगी, साथ ही निशुल्क सेनेट्री पैड भी प्रदान करेगी। जेसीआई द्वारा ये कार्यक्रम एक अभियान बतौर चलाया जाएगा।
गांव की आंगनबाडिय़ों पर करेंगे कैंप
जेसीआई श्योपुर की टीम के सदस्य संगठन की महिला विंग के साथ एक कार्यक्रम तय कर गांव में पहुंचेगी और गांव की दोनों आंगनबाड़ी केंद्रों पर कैंप लगाकर 12 से 20 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को सेनेट्री पैड बांटेंगे। इसके साथ ही महिला विंग की पदाधिकारी और एक महिला डॉक्टर के साथ कैंप में किशोरी-बालिकाओं और महिलाओं को माहवारी में सावधानियां, सेनेट्री पैड के उपयोग और स्वच्छता की सीख देंगी। ये कैंप हर माह आयोजित होंगे। इसके लिए जेसीआई ने अपना प्लान तैयार कर लिया है।