अहिंसात्मक संघर्ष के बिना न्याय संभव नहीं.. पाराशर
श्योपुर कभी जंगल का स्वामी रहा सहरिया विकास की दौड़ में काफी पिछड़ गया है यद्यपि शासन द्वारा उसके हित संवर्धन के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है परन्तु उसका लाभ उन्हें पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है इसका एक कारण शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है। यह विचार समाजसेवी कैलाश पाराशर द्वारा पदयात्रा के ककरदा में हुए स्वागत के अवसर पर आयोजित बैठक में व्यक्त किए। पदयात्री अध्यक्ष एकता परिषद गंगाराम ने कहा कि पदयात्रा के दौरान सभी गांवों की समस्याओं का संकलन किया जा रहा है जिसे एक अक्टूबर को कलेक्ट्रेट में पहुंच कर ज्ञापन के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा आप वहां अधिक से अधिक संख्या में पहुंच कर अपनी बात रखें। पदयात्रा के ककरदा तिराहे पर पहुंचने पर पदयात्रियों का बैंड बाजे व फूल मालाओं के साथ गांव के मुखिया कैलाश व हरजीत द्वारा स्वागत किया गया। जुलूस के रुप में आगे तक जाकर विदाई दी गई तथा यात्रा की सफलता हेतु शुभ कामनाएं दी आगे महिलाएं घ्नृत्य करती चल रही थी
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