कवि सम्मेलन की शुरूआत ब्यावरा से आए कवि कन्हैयालाल राज ने की। उन्होंने “मैं भी कुछ लाजवाब हो जाऊं, तेरी आंखों का ख््वाब हो जाऊं, आकर एक बार मुझे छू ले तू , में भी महकता गुलाब हो जाऊं! पंक्तियों के साथ अपना काव्य पाठ प्रारंभ किया उसके बाद झालावाड़ के राजस्थानी कवि गिरिराज आमेटा ने मायड़ भाषा राजस्थानी में बहुत ही सुंदर काव्य पाठ किया। उन्होंने अपने कविताओं के माध्यम से श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने छोटी लाडी (पत्नी) के फायदे बताते हुए कहा..”सुन सुन रे म्हारा यार मन्न छोटी मली रे नार, उका लाड लडाऊ उका नखरा उठाउ, ऊपे आवे घनों मन्ने प्यार!” यह कविता सुन श्रोता झूम उठे।
वीर रस की कविता सुना भर दिया जोश
वीर रस के कवि साजन ग्वालियरी ने अपना काव्य पाठ किया गया। “अब भ्रमर बन पुष्पों की सुगन्ध नहीं लिख सकता मे, देश की रक्षा करते करते निज प्राणों को भी वार दिया, वतन के वीर जवानों ने अपना सर्वस्व निसार दिया, मध्य रात्रि चोरी से छिपकर दुश्मन ने है वार किया। कवित्री चेतना शर्मा ने दिलदारों जैसी बातें कर रहा है रंगीन बुढ़ापा, यह नीचे बैठे ठंडी आहें भर रहा है रंगीन बुढ़ापा, चलना फिरना है मुश्किल पर जोश देखिए कैसा है। इनके बाद राजस्थानी कवि बूंदी से अंदाज हाड़ोती ने अपने सुरीले कंठ से श्रृंगार गीत गाकर लोगों का मन मोह लिया। कवियत्री शुभम तिवारी व भूपेंद्र राठौर के बीच तीखीं नोकझोंक हुई।
वीर रस की कविता सुना भर दिया जोश
वीर रस के कवि साजन ग्वालियरी ने अपना काव्य पाठ किया गया। “अब भ्रमर बन पुष्पों की सुगन्ध नहीं लिख सकता मे, देश की रक्षा करते करते निज प्राणों को भी वार दिया, वतन के वीर जवानों ने अपना सर्वस्व निसार दिया, मध्य रात्रि चोरी से छिपकर दुश्मन ने है वार किया। कवित्री चेतना शर्मा ने दिलदारों जैसी बातें कर रहा है रंगीन बुढ़ापा, यह नीचे बैठे ठंडी आहें भर रहा है रंगीन बुढ़ापा, चलना फिरना है मुश्किल पर जोश देखिए कैसा है। इनके बाद राजस्थानी कवि बूंदी से अंदाज हाड़ोती ने अपने सुरीले कंठ से श्रृंगार गीत गाकर लोगों का मन मोह लिया। कवियत्री शुभम तिवारी व भूपेंद्र राठौर के बीच तीखीं नोकझोंक हुई।