उल्लेखनीय है कि वर्ष 1978 में संरक्षित किए गए राष्ट्रीय घडिय़ाल चंबल अभयारण्य के 435 किलोमीटर के इलाके में वर्ष 1984 में वार्षिक गणना शुरू की गई। हालांकि अभी तक वार्षिक सर्वेे गणना में जलीय जीवों के साथ ही चंबल में रहने वाले देशी और प्रवासी पक्षियों की गणना एक साथ ही होती थी, लेकिन इस बार नया प्रयोग करते हुए अभयारण्य प्रबंधन दोनों की गणना अलग-अलग कराएगा। इसी के तहत एक टीम श्योपुर जिले के पाली घाट से अपनी गणना शुरू करेगी, जबकि दूसरी टीम अभयारण्य के निचले क्षेत्र चकरनगर की ओर से गणना शुरू करेगी। इसमें अभयारण्य के अमले के साथ ही वन्यजीव संस्थान देहरादून के रिसर्च स्कॉलर और कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य भी आएंगे। शामिल रहेंगे। वर्ष 2017 की गणना के मुताबिक अभयारण्य में घडिय़ालों की संख्या 1255, मगरमच्छ 562 और डॉल्फिन 75 की संख्या में है।
इस बार प्रवासी पक्षियों की आमद कम!
यूं तो प्रतिवर्ष दिसंबर से अप्रेल तक की अवधि में चंबल में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की आमद होती है, लेकिन इस बार ठंड कम पडऩे के कारण प्रवासी पक्षियों की आमद कम दिखी है। हालांकि इस बार कितनी प्रजातियों के प्रवासी पक्षी यहां आए, ये तो वार्षिक सर्वे के बाद ही सामने आएगा, लेकिन पिछले वर्षों में चंबल में 18 8 प्रकार के देशी और विदेशी पक्षी देखे गए हैं।
वार्षिक गणना की तैयारियां पूरी कर ली गई है। हम 26 जनवरी के बाद गणना शुरू करेंगे। इस बार पक्षियों औ जलीय जीवों की गणना अलग-अलग होगी, ताकि और वास्तविक आंकड़े आ सकें।
एए अंसारी, डीएफओ, चंबल अभयारण्य मुरैना