वजह यह है कि यहां पदस्थ नेत्र विशेषज्ञ डॉ शिवप्रताप सिंह राठौर तीन माह पहले श्योपुर से चले गए। लेकिन उनके जाने के बाद श्योपुर अस्पताल में अभी तक किसी दूसरे नेत्र विशेषज्ञ की पदस्थी शासन की ओर से नहीं की गई। परिणामस्वरुप मरीजों को जिला अस्पताल में आंखो का इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं खुद स्वास्थ्य विभाग भी नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर के अभाव में अपने नेत्र ऑपरेशनों के लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर पा रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल में चल रहा नेत्र ऑपरेशन शिविर भी ग्वालियर के डॉक्टरों की टीम के भरोसे संचालित हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल में टीबी रोगियों के भर्ती होने के लिए पृथक वार्ड भी नहीं बन सका है। ऐसे में टीबी रोगी सामान्य वार्ड में ही भर्ती हो रहे है। जिससे वार्ड के अन्य मरीजों को भी टीबी होने का खतरा बना है।
खुलकर बंद हो गया आईसीयू
जिला अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ ही नहीं,अपितु डॉक्टरों की भी कमी है। यह कमी तीन डॉक्टरों के सेवानिवृत्त होने के कारण और बढ़ी है। डॉक्टरों की इस कमी से जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए खोला गया आईसीयू भी खुलने के कुछ दिन बाद बंद हो गया। वहीं ट्रॉमा सेंटर के खुलने का इंतजार भी लंबा होता जा रहा है। यही नहीं, वर्तमान में जो डॉक्टर जिला अस्पताल में पदस्थ है,उनमें भी कुछ की ड्यूटी के प्रति लापरवाही और अवकाश पर जाने के चलते जहां एनआरसी में भर्ती बच्चों को ठीक से इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं कराहल और बरगवां अस्पताल भी डॉक्टरों के छुट्टी जाने से खाली हो गए।
बाजार से खरीदकर ला रहे प्लास्टर और पट्टी
जिला अस्पताल में प्लास्टर ऑफ पेरिस और पट्टी आदि सामान खत्म हो गए है। जिसकारण घटना या दुर्घटना में घायल होकर जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीज को फैक्चर आने पर प्लास्टर चढ़ाने के लिए सामान मरीज के परिजनों को बाजार से खरीदकर लाना पड़ रहा है। वहीं एंटी रेबीज इंजेक्शनों की कमी भी आए दिन बन रही है।
नेत्र विशेषज्ञ सहित कुछ डॉक्टरों की कमी है। जिनकी पूर्ति के लिए हम प्रस्ताव भेज चुके है। साथ ही हमारे पास जो उपलब्ध डॉक्टर है,उनके जरिए हम मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे है।
डॉ एनसी गुप्ता, सीएमएचओ,श्योपुर
जिला अस्पताल में प्लास्टर ऑफ पेरिस और पट्टी आदि सामान खत्म हो गए है। जिसकारण घटना या दुर्घटना में घायल होकर जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीज को फैक्चर आने पर प्लास्टर चढ़ाने के लिए सामान मरीज के परिजनों को बाजार से खरीदकर लाना पड़ रहा है। वहीं एंटी रेबीज इंजेक्शनों की कमी भी आए दिन बन रही है।
नेत्र विशेषज्ञ सहित कुछ डॉक्टरों की कमी है। जिनकी पूर्ति के लिए हम प्रस्ताव भेज चुके है। साथ ही हमारे पास जो उपलब्ध डॉक्टर है,उनके जरिए हम मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे है।
डॉ एनसी गुप्ता, सीएमएचओ,श्योपुर