पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़े गोवंश पशुओं की संख्या में कमी आने की गवाही दे रहे हैं। 19वीं गणना के अंतर्गत गोवंश पशुओं की गणना की गई तो यह आंकड़ा 97 हजार से अधिक था, लेकिन 20 वीं गणना में यह आंकड़ा 61 हजार पर सिमट कर रह गया। पशु चिकित्सक का कहना है कि गोवंश पशुओं की संख्या में लगातार कमी हो रही है उसका प्रमुख कारण है कि गोवंश पशुओं की उपयोगिता अब खेती कार्यों में नहीं रही है पशुपालन महंगा होता जा रहा है। हालांकि एक तरफ गोवंश को बढ़ावा देने के लिए शासन एक हर पंचायत मेंगोशाला खोलकर लोगों को गोवंश को बचाने के लिए प्रेरित कर रहा है। लेकिन दूसरी तरफ गोवंश की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।
भैंस और बकरी का क्रेज बढ़ा
गौवंश में गिरवट के साथ भैंस और बकरी का क्रेज बढ़ा है। गणना के अनुसार भैंस की संख्या में 15 हजार और 10 हजार का इजाफा हुआ है। 19 वीं गणना में भैंस जहां 53 हजार 255 थीं वह अब बढक़र 68 हजार 982 पहुंच गई हैं। वहीं बकरी 64 हजार 205 थी, उनकी संख्या 20वीं गणना में 74 हजार 815 हो गई है।
गोवंश गिरावट का एक मुख्य कारण यह भी
केन्द्र व प्रदेश सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने के लिहाज से किसानी को हाईटेक करने एवं कृषि उपकरणों खेती के लिए प्रोत्साहन के रुप में सब्सिडी देने के चलते किसान ट्रैक्टरों से खेती करने लगे जहां पहले बैलों से खेती होती थी वहां अब कृषि उपकरणों से खेती कराई जा रही है इसलिए भी गोवंश को लेकर किसान व गोपालकों में रुचि कम हो रही है।
हां यह बात सही है कि पिछली गणना के अनुपात में ताजा गणना में गोवंश में गिरावट आई है। जिसका मुख्य कारण किसानों की गोवंश के प्रति रुचि कम होने के साथ-साथ बैल उपयोग न होना है। गोवंश के बढावे को हम संवेदनशील हैं। इसीलिए शासन स्तर पर जगह- जगह गोशालाएं खोली जा रही हैं ।
डॉ. आरएस सिकरवार, उप संचालक पशुपालन विभाग श्योपुर