बताया गया है कि मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने श्योपुर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्राओं के लिए वर्ष 2011 में 50 सीटर छात्रावास स्वीकृत किया। यही नहीं इसके लिए 80 लाख का भवन स्वीकृत कर लोकनिर्माण विभाग को निर्माण एजेंसी भी बनाया गया। हालांकि लोक निर्माण विभाग ने भी तत्समय काफी धीमी गति से भवन का निर्माण किया, लेकिन वर्ष 2014 में भवन बनकर तैयार हो गया और महाविद्यालय प्रबंधन को हैंडओवर कर दिया गया। बावजूद इसके इस भवन में अभी तक छात्रावास का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। यही वजह है कि 80 लाख का भवन इन दिनों न केवल बदहाल स्थिति में है बल्कि खंडहर में भी तब्दील होता नजर आ रहा है। भवन के खिड़की दरवाजे टूटने लगे हैं, वहीं छत पर रखी पानी की टंकियां भी बेकद्री का शिकार हैं।
स्टाफ के नाम पर मिला एक अधीक्षक वो भी छुट्टी
भवन बनने के लगभग चार साल बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज के गल्र्स हॉस्टल के लिए स्टाफ की पदस्थी नहीं की है। हालांकि दो माह पूर्व एक अधीक्षक की तैनाती की थी, लेकिन वो भी ज्वाइनिंग के बाद से ही छुट्टी पर है। जबकि अन्य स्टाफ के बारे में अभी तक कोई दिशा-निर्देश भी नहीं मिले हैं।
ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में आती हैं छात्राएं
श्योपुर पीजी कॉलेज में लगभग सात सैकड़ा के आसपास छात्राएं अध्यनरत हैं, जिनमें से बड़ी संख्य मेंं ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं हैं। लेकिन छात्रावास की सुविधा नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं या तो महंगे दामों पर किराए से कमरा लेने को मजबूर हैं या फिर गांव से ही अपडाउन करती हैं। ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
स्टाफ की पूर्ति नहीं हो पा रही है, जिसके चलते हम छात्रावास को संचालित नहीं करा पा रहे हैं। लेकिन हम इसके नए सत्र में शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए विभाग को पत्र भी लिखा है कि हमें अनुमति दे दी जाए ताकि स्टाफ की व्यवस्था यहां से करा लें।
डॉ.एसडी राठौर, प्राचार्य, शासकीय पीजी कॉलेज श्योपुर