पहले दिए आदेश का हुआ था विरोध
बता दें कि, इससे पहले साल की शुरुआत में महापंचायत ने शराबियों को लेकर इसी तरह का फैसला सुनाते हुए जि़ले के चुनिंदा गांवों में समितियां बनाई थीं, जिन्हें यह आदेश दिए थे कि, गांव का कोई व्यक्ति अगर नशे में पाया जाता है, तो उसके प्रमाण जुटाकर महांपंचायत को सूचित करें, जिसके बाद उसपर उचित कार्रवाई की जाएगी। उस समय पंचों ने शराबी व्यक्ति पर 5000 रुपए जुर्माना तय किया था, साथ ही करीब दो साल की सज़ा का प्रावधान किया था, लेकिन इसके बाद कई जगहों से समितियों के सही काम ना करने और लोगों द्वारा इस फैसले के ख़िलाफ होने के कारण कुछ समय के लिए यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, जिसके बाद लोगों को यह लगने लगा था कि, फैसले को लेकर पंचायत ने नरम रवय्या इख़्तेयार कर लिया है, लेकिन इस रविवार को हुए इस फैसले ने उन सारी कयासी बातों पर विराम लगा दिया है।
रामलखन के ख़िलाफ सुनाया गया पहला फैसला
रविवार को छापर गांव में सहरिया समाज के 82 गांवों की पंचायत में पंचों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि, महांपंचायत द्वारा जो समितियां हर गांव में गठित की थीं, वह अपने दायित्वों को निभाने में असमर्थ थीं, जिसके चलते कई गांवों में अब भी लोग नशे की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल सके हैं। इसके बाद पंचों को सूतना मिली कि, छापर गांव का निवासी रामलखन आदिवासी रोज़ाना अपने घर में शराब पीता है, जो अभी भी अपने घर में शराब के नशे में धुत बैठा है। इसपर पंचों ने आदेश जारी करते हुए उसे पंचों के सामने आने की बात कही, जिसे नकारते हुए शराबी रामलखन ने पंचायत में आने से इंकार कर दिया, जिससे नाराज़ हुए पंचों ने रामलखन को समाज से बहिष्कृत करने का फरमान जारी कर दिया। साथ ही, गांव के लोगों के लिए भी एक आदेश जारी करते हुए कहा कि, अगर गांव का कोई व्यक्ति आरोपूी से किसी भी तरह का सामाजिक या आर्थिक लेन-देन या व्यवहार रखता है, तो उसपर भी 21000 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।