दरअसल शासन द्वारा बच्चों को कुपोषण के दंश से बाहर निकालने प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है। बावजूद इसके कुपोषण के ग्राफ में जितना सुधार आना था उतना नहीं आया है। हालांकि विभागीय अमला कहता है जिले में बीते वर्ष के मुकाबले कमी आई है। पर अभी भी जिले के बच्चे कुपोषित है। महिला एवं बाल विकास विभाग को कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है। विभाग कुपोषण दूर करने प्रयासरत भी है।
जिले की सभी 6 परियोजना अंतर्गत आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार में नाश्ता और भोजन का मीनू निर्धारित। जिसके अनुसार प्रतिदिन बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किए जाने के निर्देश हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को दलिया, रेड़ी टू ईट सहित कई पोष्टिक आहार कुपोषण दूर करने दिए जा रहे है। हालांकि कई जगहों पर इसका सही पालन हो नहीं पा रहा है।
कुपोषण दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के पास अच्छी खासी फौज है इसके बाद भी विभाग कुपोषण रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। 1191 कार्यकर्ता, 897 सहायिका, 6 परियोजना अधिकारी, 41 सेक्टर सुपरवाइजर, 20 ग्रोथ मॉनिटर के बाद भी जिले की स्थिति में कम ही सुधार नजर आ रहा है।
310 एनआरसी में भर्ती के योग्य
2400 अति कम वजन के बच्चे
184 एनआरसी में भर्ती
127 एनआरसी में भर्ती से वंचित
41 सेक्टर
1226 स्वीकृत आंगनबाड़ी
6 परियोजना
1191 कार्यकर्ता
897 सहायिका
इनका कहना है
जिले की स्थिति में पहले से सुधार हुआ है। पहले जहां 800 बच्चे एनआरसी में भर्ती करने योग्य मिलते थे अब सिर्फ 310 बच्चे मिले हैं। पलायन पर जाने वाले बच्चों के परिजनों को पोषण आहार देने की समझाइश दी जाएगी। वहीं हर आंगनबाड़ी केन्द्र को निर्देश दिए जाएंगेे कि वह बच्चों को लेकर अपडेट रहें।
ओपी पांडे
जिला कार्यक्रम, महिला एवं बाल विकास विभाग