बीते एक पखवाड़े पूर्व ही श्योपुर जिला जेल के जेलर पदस्थ किए गए मौर्य 17 फरवरी 1982 को जेल आरक्षक के रूप में भर्ती हुए। बीते 35 सालों में अपने काम से जहां जेल विभाग में न केवल स्वयं की अलग पहचान बनाई, बल्कि सामाजिक सरोकार के कार्यों से एक अवार्ड विनर और मेडल मैन की छवि भी स्थापित की। अपने जेल के कार्यों के साथ ही पौधरोपण, ब्लड डोनेशन, नशामुक्ति, साक्षरता जैसे सामाजिक कार्यों के साथ मौर्य ने अपने स्तर कई ब्लड डोनेशन कंैप कराए, कई लोगों को नशामुक्त करवाया, तो पौधरोपण कार्यक्रमों के बाद उन पौधों को संरक्षण भी किया।
यही वजह है कि कई शासकीय और अशासकीय संस्थाओं से 238 अवार्ड व मेडल प्राप्त कर चुके हैं, जिसमें चार राष्ट्रपति पुरस्कार भी शामिल हैं। जेल सुधारात्मक कार्यों और सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों के मद्देनजर राज्य सरकार ने जनवरी 2017 में मौर्य का नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए भेजा हुआ है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री अवार्ड के लिए भी मार्च 2017 में उनका भेजा गया है। वहीं 12 जनवरी को उन्होंने स्वयं भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए भी एप्लाई किया है।
इनके लिए मिला राष्ट्रपति पुरस्कार
वरिष्ठ जिला जेलर मौर्य को वर्ष 1996 में पहला राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। भोपाल जेल में एक बैरक को आकार गुडिय़ा घर म्युजियम में तब्दील करने में सहयोगी रहे मौर्य को ये पुरस्कार मिला। इसके बाद अशोकनगर में रहते हुए वर्ष 2004 में नशामुक्ति अभियान, ब्लड डोनेेशन, नेत्र शिविर आदि कार्यों के लिए, 2010 में शिवपुरी रहते समय पल्स पोलियो अभियान, स्कूल चले अभियान आदि सहित अन्य सामाजिक कार्यों के लिए तथ३ा वर्ष 2015 में मुरैना में नशामुक्ति आदि सहित अन्य सामाजिक कार्यांे के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। इसके साथ ही 2002 और 2013 में मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार भी मिले हैं।
सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्य करना अच्छा लगता है। यही वजह है कि मंै अपने विभागीय कार्य के साथ ही जब भी समय मिलता है, नशामुक्ति, ब्लड डोनेशन, पौधरोपण आदि गतिविधियोंं के लिए लोगों को जागरुक करने का प्रयास करता हूं।
वीएस मौर्य, वरिष्ठ जेलर, जिला जेल श्योपुर