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अस्पताल से लौट रही हैं प्रसूताएं। जानिए क्यों

locationश्योपुरPublished: Oct 18, 2019 11:08:20 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastav

इकलौती एएनएम का तबादला, दो माह से प्रसव सुविधा ठप, डॉक्टर भी आते है यदाकदा, क्षेत्र के ग्रामीण परेशान
 
 

अस्पताल से लौट रही हैं प्रसूताएं। जानिए क्यों

अस्पताल से लौट रही हैं प्रसूताएं। जानिए क्यों

सहसराम/श्योपुर. तहसील विजयपुर के ग्राम सहसराम में भले ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित है। लेकिन इसके बाद भी यहां के ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। वजह यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते है। वहीं इकलौती एएनएम का दो माह पहले तबादला हो गया है। जिसके बाद यहां दूसरी एएनएम की पदस्थी अब तक नहीं की गई। जिस कारण इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव की सुविधा दो माह से ठप पड़ी है।
स्थिति यह है कि डिलीवरी के लिए जो प्रसूताएं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचती है, उनको बिना डिलीवरी के वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में गर्भवती महिलाओ को डिलीवरी के लिए या तो विजयपुर और मोहना जाना पड़ रहा है, या फिर असुरक्षा के बीच घर पर ही डिलीवरी कराने को मजबूर हो रही है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सीएम हेल्पलाइन पर की शिकायत

सहसराम के अस्पताल में डिलीवरी की सुविधा ठप हो जाने की शिकायत ग्रामीणों ने न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग संबंधित अफसरों से की, बल्कि सीएम हेल्पलाइन तक भी शिकायत पहुंचाई। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। जिस कारण यहां की महिलाओं को डिलीवरी के लिए या तो विजयपुर और मोहना की दौड़ लगानी पड़ रही है, या फिर घर पर ही भगवान भरोसे डिलीवरी कराने को विवश होना पड़ रहा है।
कंपाउंडर के भरोसे हो गया अस्पताल

सहसराम के ग्रामीणों ने बताया कि यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कहने को तो एक डॉक्टर की पदस्थी बताई जा रही है। लेकिन पदस्थ बताए जा रहे डॉक्टर नियमित अस्पताल नहीं आ रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर यदाकदा ही अस्पताल आते है। ऐसे में यहां डॉक्टर का पदस्थ होना भी पदस्थ न होने के बराबर है। जबकि इकलौती एएनएस का तबादला हो गया है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा यहां किसी दूसरी एएनएम की पदस्थी अभी तक नहीं की गई। जिस कारण यहां दो माह से प्रसव की सुविधा बंद पड़ी है। वहीं अस्पताल भी कंपाउंडर के भरोसे हो गया है।
ग्रमीणों की पीड़ा

बहू को डिलीवरी के लिए अस्पताल लेकर गए। मगर वहां कोई स्टॉफ नर्स नहीं मिली। इसलिए बहू की डिलीवरी घर ही करानी पड़ी। इस मामले की शिकायत 181 पर भी की गई। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।
गिर्राज सोनी, ग्रामीण

अस्पताल में न तो डॉक्टर है और न ही स्टॉफ है। ऐसे में यह अस्पताल नाम का रह गया है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इस दिशा में ध्यान देकर सुधार करना चाहिए।
प्रदीप धाकड़, पूर्व जनपद सदस्य

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सहसराम में स्टॉफ नर्सकी पदस्थी की जाएगी। वहीं डॉक्टर को भी निर्देशित किया जाएगा।

डॉ एआर करोरिया, सीएमएचओ, श्योपुर

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