कृषि मंडी में किसानों के टीनशेड पर व्यापारियों का कब्जा, किसान हो रहे परेशान
कृषि उपज मंडी में किसानों के लिए न तो रैन बसेरा और न ही सुलभ शौचालय एवे अन्य सुविधाएं

श्योपुर. एक दशक पहले पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग में ए ग्रेड की मंडियों में शुमार रही श्योपुर कृषि उपज मंडी अब अव्यवस्थाओं से जूझ रही हैं। स्थिति यह है कि किसानों को न तो रात गुजारने के लिए यहां विश्राम गृह है और न ही अन्य मूलभूत सुविधाएं हैं। यही नहीं दिन मेंं उपज रखने और नीलामी के लिए बनाए टीनशेडों में भी व्यापारियों का माल रखा है, जिसके कारण किसान अपनी उपज खुले में ही रखने को मजबूर हैं।
दो दशक पहले शहर के पाली रोड से स्थानांतरित होकर श्योपुर कृषि उपज मंडी जैदा में शिफ्ट की गई। यहां किसानों की उपज रखने और नीलामी प्रक्रिया के लिए मंडी में टीनशेड और चबूतरे बनाए गए। लेकिन यहां पर कई व्यापारियों ने अपनी उपज रखकर कब्जा जमाया हुआ है। जिसके कारण किसानों की ट्रॉलियां धूप और खुले में ही खड़ी होती है और किसान भी खुले में ही बैठने को मजबूर हैं। हालंाकि मंडी प्रशासन कई बार व्यापारियों को टीनशेड खाली कराने की खानापूर्ति की भी, लेकिन आज तक टीनशेड खाली नहीं हुए है। जिसके चलते किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं नीलामी प्रक्रिया में भी काफी दिक्कतें आती हैं। बावजूद इसके मंडी प्रशासन ने सख्ती से टीनशेड खाली कराने की जहमत कभी नहीं उठाई।
किसानों के विश्रामगृह में लग रही बैंक
कृषि मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए आने वाले किसानों को न तो विश्राम गृह है और न ही रात में सोने के लिए कोई रैन बसेरा है। स्थिति यह है कि शुरुआत में किसानों के लिए बनाए गए विश्राम गृह को एसबीआई बैंक शाखा पांडोला के लिए दिया हुआ है, जिसके चलते किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। विशेष बात यह है कि कृषि मंडी प्रांगण में एक अदद सुलभ शौचालय तक चालू नहीं है, जिसके चलते यहां रात रुकने वाले किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
भुगतान के लिए आना पड़ता है शहर
मंडी में उपज विक्रय करने वाले किसानों को भुगतान के लिए भी व्यापारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यापारी मंडी में उपज विक्रय करने के बाद भी मौके पर ही भुगतान नहीं करते बल्कि मंडी से 6 किमी दूर शहर स्थिति अपनी दुकानों पर किसानों को बुलाते हैं। मजबूरन किसान मंडी में उपज बेचकर 6 किमी दूर शहर आकर भुगतान लेने को मजबूर है। जबकि मंडी परिसर में ही एसबीआई बैंक की शाखा है और व्यापारी मंडी से ही भुगतान करते हैं।
मंडी में किसानों के लिए रैन बसेरे का प्रस्ताव बनाकर भिजवाएंगे, वहीं 15 साल पहले बने शौचालय की मरम्मत कर चालू कराया जा रहा है। इसके साथ ही अब मंडी में व्यापारी धान की ढेरी लगाकर खरीद करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इतनी जगह प्रांगण में नहीं है, साथ ही किसान भी इसके लिए तैयार नहीं है।
एसडी गुप्ता, सचिव, कृषि उपज मंडी श्योपुर
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