उल्लेखनीय है कि गेहूं की खरीदी 26 मई को और चना व सरसों की खरीदी 9 जून को पूरी हो गई। इसी के तहत 9 हजार 534 किसानों ने चने का विक्रय किया और उन्हें 126 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है, लेकिन अभी तक महज 8 4 करोड़ रुपए के आसपास का ही भुगतान हो पाया है और सैकड़ों किसानों का लगभग 42 करोड़ रुपए अटका हुआ है। वहीं दूसरी ओर एक हजार 10 किसानों ने अपनी सरसों का विक्रय किया और उन्हें लगभग 10 करोड़ का भुगतान होना, जिसमें से अभी तक महज 5 करोड़ का भुगतान हुआ है और पांच करोड़ का भुगतान अटका हुआ है। यही वजह है कि अभी किसानों का लगभग 47 करोड़ का भुगतान अटका हुआ है।
हड़ताल से भटक रहे किसान
मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ के बैनर तले पूरे प्रदेश में सहकारी बैंकों के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। गत 11 जून से प्रारंभ हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत श्योपुर की भी आठ शाखाओं के लगभग आधा सैकड़ा कर्मचारी हड़ताल पर हैं। यही वजह है कि बीते तीन दिनों से बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप है और किसान परेशान बने हुए हैं। किसान अपने भुगतान के लिए सहकारी बैंकों और सहकारी संस्थाओं के चक्कर काट रहे हैं,लेकिन उनकी परेशानी का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
गेहूं में समर्थन मूल्य से पहले मिला बोनस
भले ही सरकार समर्थन मूल्य पर गेहंू विक्रेता किसानों को 265 रुपए प्रति क्ंिवटल का बोनस देकर वाहवाही लूट रही हो, लेकिन अभी तक कई किसान ऐसे हैं, जिन्हें समर्थन मूल्य का ही भुगतान नहीं हुआ है। हालांकि विभागीय अफसर गेहूं का शतप्रतिशत भुगतान की बात कह रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में किसान अभी भी गेहूं के भुगतान के लिए चक्कर काट रहे हैं।
चना का 96 करोड़ रुपए सीसीबी के पास पहुंच गया है, शेष राशि भी जल्द ही आएगी, क्योंकि भंडारण 99 फीसदी से अधिक हो गया है। चूंकि अभी सीसीबी की हड़ताल चल रही है, इससे भी किसानों के भुगतान की स्थिति रुक गई है।
अमित गुप्ता, डीएमओ, मार्कफेड श्योपुर