इसके लिए कई माताएं बसों में रुदन करने वाले बच्चों को शांत कराने के लिए डाट डपट भी लगाती है। लेकिन बच्चों को रोना रुकने के बजाए और बढ़ जाता है। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए परिवहन विभाग के द्वारा सालभर पूर्व यात्री बसों में आंचल सुविधा शुरू करवाए जाने के निर्देश दिए गए थे। ताकि इस सुविधा के चलते यात्री बसों में माताएं अपने बच्चों को स्तनपान करा सके। साथ ही परिवहन विभाग के द्वारा ये भी आदेश दिए गए थे कि बसों के परमिट तभी जारी किए जाएंगे,जब यात्री बसों में आंचल सुविधा के लिए सीट आरक्षित करते हुए पर्दे लगाए जाएंगे। मगर इसके बाद भी बसों में आंचल सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। जबकि परिवहन विभाग के द्वारा इन निर्देशोंं को जारी किए सालभर का समय निकल गया है।
ये किया जाना था बसों में
शिशुओं के स्तनपान के लिए बसों में ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर व्यवस्था करनी थी। ये सीट तीनों ओर से परदों से कवर की जाना थी। ताकि मां बिना किसी परेशनी के अपने शिशु स्तनपान करा सके।
बस स्टैंड में बनाया स्तनपान कक्ष भी खस्ताहाल
शहर के एकीकृत बस स्टैंड के अंदर भी बच्चों को माताओं के द्वारा स्तनपान कराने के लिए एक कक्ष बनाया गया था। ताकि बसों के इंतजार में बस स्टैंड में बैठने वाली माताओं को अपने बच्चो को दूध पिलाने में परेशानी न हो। मगर जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण ये स्तनपान कक्ष भी खस्ताहाल हो गया है। स्थिति यह है कि इस कक्ष में लोग लघुशंका करते है।