इसके विकास का प्रस्ताव भी कूनो प्रबंधन जल्द ही शासन को भेजने जा रहा है। जिसमे विभागीय सूत्रों की माने तो इस रोमांचकारी स्थल पर एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक के लिए रोपबे भी शामिल है। इसके साथ ही इस स्थान पर पर्यटकों को अधिक से अधिक रोकने और आकर्षित करने के लिए कूनो पार्क प्रबंधन यहां पर सुरक्षा के लिहाज से भी इंतजामात करने की योजना बता रहा है।
यह है नटनी खोह के पीछे की किवदंती
नटनी को लेकर वैसे तो देश प्रदेश में कई कहानियां विद्यमान हैं और नरवर किले की कहानी इसमें से एक प्रमुख है। मगर श्योपुर के कूनो पालपुर के जंगल में भी एक नटनी खोह नाम का स्थान मौजूद है, जहां पर आज भी प्राचीन नगर के अवशेष हैं और जानकार बताते हैं कि यहां प्राचीनकाल में एक नगर हुआ करता था। जहां पर मौजूद दो पहाड़ों को यहां की एक नटनी कच्चे सूत पर चलकर पार कर जाया करती थी। जो इसी करतब को दिखाते हुए तब मर गई, जबकि कच्चे सूत को नाई के उस्तरे से काट दिया गया। बताया गया है कि इसके बाद इस नगर को लोढी माता का श्राप लगा और वह उजाड़ हो गया। यहां पर लोढी माता का मंदिर भी बना हुआ है। जहां पर लोग दर्शनों के लिए भी जाते हैं।
नटनी खोह कूनो में मौजूद 11 केन्द्र में से एक प्रमुख पर्यटन केन्द्र है। जिसे विकसित किए जाने की योजना है, हम जल्द ही यहां पर और भी विकास कार्य कराएंगे, जिससे पर्यटकों को यहां पर अधिक से अधिक रोमांच महसूस हो सके।
व्रिजेन्द्र श्रीवास्तव, डीएफओ, कूनो वन मंडल,श्योुपर