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गांव में श्मशान नहीं तो घर के पास करना पड़ा अंतिम संस्कार

locationश्योपुरPublished: Sep 11, 2019 11:25:07 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastav

पार्वती नदी किनारे बसे सारंगपुर गांव का मामला
 

गांव में श्मशान नहीं तो घर के पास करना पड़ा अंतिम संस्कार

गांव में श्मशान नहीं तो घर के पास करना पड़ा अंतिम संस्कार

बड़ौदा/श्योपुर. चंद्रमा पर पहुंचने का दंभ भरने वाले भारत के गांवों में भी आज भी अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक नहीं है। बीते रोज भी जिले के एक गांव में श्मशान घाट नहीं होने के कारण ग्रामीणों को एक वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार गांव में ही घर के पास बने बाड़े में करना पड़ा। ये मामला है कि पार्वती नदी किनारे बसे सारंगपुर गांव। लेकिन यहां अभी तक श्मशान विकसित नहीं हो पाया है, जिसके कारण ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए भी जगह ढंूढनी पड़ती है।
विकासखंड श्योपुर की ग्राम पंचायत उदोतपुरा के ग्राम सारंगपुर में पार्वती नदी किनारे बसा है। यहां नदी किनारे ही बरसों पूर्व से श्मशान की भूमि है, लेकिन ये हिस्सा घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र में आता है, लिहाजा वहां अभयारण्य प्रबंधन श्मशान घाट को विकसित नहीं करने देता है, नहीं वहां पहुंचने का रास्ता है।
बारिश के दिनों में ये रास्ता दुर्गम हो जाता है। वहीं ग्राम पंचायत दूसरी जगह भी श्मशान नहीं बना पाई है। यही वजह है कि बीते रोज ग्राम के निवासी रामनिवास मीणा की 80 वर्षीय मां का निधन हो गया। जिनके अंतिम संस्कार के लिए जब ग्रामीणों को जगह नहीं मिली, तो उन्होंने मृतका के घर के पास ही बने बाड़े में अंतिम संस्कार किया। स्थानीय निवासी और भाजपा किसान मोर्चा के मंडल महामंत्री महावीर मीणा बड़ौदा ने बताया कि घडिय़ाल विभाग की आपत्ति के कारण गांव का नदी किनारे का पुश्तैनी श्मशान और उसका रास्ता विकसित नहीं हो पाया है और पंचायत व प्रशासन दूसरी जगह श्मशान नहीं बना पाए हैं, लिहाजा बीते रोज वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार घर में ही करना पड़ा है।
रामगांवड़ी में घुटने तक पानी और कीचड़ से निकाली अर्थी

श्योपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत रामगांवड़ी की बैरवा बस्ती में तो मुख्य रास्ता ही कीचड़ और पानी में डूबा हुआ है। यही वजह है कि यहां बीती रात 70 वर्षीय कनीपुरा बैरवा का निधन हो गया। तो उनके अंतिम संस्कार के लिए उनकी अर्थी घुटनों तक पानी और कीचड़ के बीच से ग्रामीणों ने निकाली।
ग्रामीणों ने बताया कि बस्ती के मुख्य रास्ते की हालत ऐसी खराब है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है, जबकि अफसरों और जनप्रतिनिधियों को बताया जा चुका है। बुधवार को अंतिम संस्कार के लिए शवयात्रा ऐसी स्थिति में निकाली, लेकिन बस्ती में केाई बीमार हो जाता है या तो किसी गर्भवती केा प्रसव के लिए ले जाना पड़े तो खटिया में डालकर ले जाना पड़ता है।

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