यही वजह है कि आंगनबाडिय़ों पर आने वाले नौनिहालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विशेष बात यह है कि बिजली नहीं हेाने से केंद्रों पर पंखे आदि भी नहीं चल पाते, लिहाजा आगामी ग्रीष्मकाल में भी नौनिहाल गर्मी से बेहाल रहेंगे।
बताया गया है कि जिले में 1226 आंगनबाड़ी केंद्र (मिनी केंद्रों सहित) संचालित है। जिसमें से 293 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनमें शौचालय की सुविधा ही नहीं है। जबकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र पर शौचालय होने चाहिए। ऐसे में इन केंद्रों पर शौचालय ही नहीं है, वहां के छोटे-छोटे बच्चों के लिए परेशानियां है। वहीं दूसरी ओर जिले के 856 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जो बिजली विहीन है। ऐसे में इन केंद्रों पर बिजली आधारित उपकरण शोपीस बने हुए हैं, साथ ही ग्रीष्मकाल में पंखे शोपीस बने नजर आते हैं।
52 केंद्रों पर नहीं पानी की सुविधा
जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में से 52 केंद्र तो ऐसे हैं जो पानी का कोई साधन नहीं है। ऐसे में कार्यकर्ता और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 885 केंद्रों पर हैंडपंप, 41 पर कुआं, 125 पर नलजल योजना और 112 पर अन्य स्रोत से पेयजल सुविधा है।