10 स्कूलों में नहीं एक भी मास्टर,कैसे सुधरे शिक्षा का स्तर
श्योपुरPublished: Apr 12, 2019 08:49:09 pm
-चार हाईस्कूल एक साल पहले और छह हाईस्कूल खुले थे दो साल पहले -स्कूल प्राचार्यकी जिम्मेदारी भी मिडिल स्कूल प्रभारी पर,शिक्षकों के सभी पद खाली पड़े
एलएन शर्मा श्योपुर,
जिले के 10 शासकीय हाईस्कूलो में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है। प्राचार्यकी अतिरिक्त जिम्मेदारी जहां नजदीकी मिडिल स्कूल के प्रधान अध्यापकों को संभालनी पड़ रही है। वहीं शिक्षकों के सभी पद खाली पड़े है।जिससे इन स्कूलों में पढऩे वाले 500 के करीब बच्चों का भविष्य दांव पर लग रहा है। साथही शासन के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने संबंधी दावों की पोल भी खुल रही है। हालांकि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अफसरों को भी है। मगर इसके बाद भी इन स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे नहीं जा रहे है।
दरअसल शासन के द्वारा हर पांच किलोमीटर के दायरे में शासकीय हाईस्कूल खोले जा रहे है। इसी क्रम में जिले में भी जरुरत वाले गांवों में हाईस्कूल शासन के द्वारा अब तक खोल दिए गए है।मगर नए खोले जाने वाले हाईस्कूलों में शिक्षकों की पदस्थी नहीं की जा रही है।जिले के १० हाईस्कूल इसके ताजा उदाहरण है। इन हाईस्कूलों में शिक्षकों के साथही प्राचार्य तक भी नहीं है। हालांकि बच्चों को पढ़ाने के लिए इन स्कूलों में अतिथि शिक्षक रखे गए है,मगर अतिथि शिक्षक भी जरुरत के लिहाज से पदस्थ नहीं है।प्राचार्यकी जिम्मेदारी भी मिडिल स्कूल प्रभारी को देखनी पड़ रही है। ऐसे में इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की पढ़ाई बेहतर ढंग कैसे होगी,इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।जबकि इस बार भी नौवी का परीक्षा परिणाम खराब रहने के पीछे एक कारण शिक्षकों की कमी भी रहा है।
इन हाईस्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पद
जिले के जिन शासकीय हाईस्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े है,उनमें शासकीय हाईस्कूल आबादी पंजाबी, ननावद, अर्रोदरी, बलावनी, नयागांव-ढोंढपुर,जानपुरा, रामबड़ौदा, मेवाड़ा, गोहेड़ा, अलापुरा शामिल है।बताया गया हैकि मेवाडा, रामबड़ौदा, अलापुरा, गोहेड़ा, आबादी पंजाबी और ननावद के हाईस्कूल तो दो साल पहले शासन के द्वारा खोले गए। जबकि अर्रोदरी, बलावनी, नयागांव-ढोंढपुर, जानपुरा के शासकीय हाईस्कूल गत वर्ष खोले गए। लेकिन इनमें प्राचार्यसहित शिक्षकों के सभी पद खाली पड़े है।
एक प्राचार्य और 9 शिक्षकों के पद स्वीकृत
वैसे तो मिडिल स्कूल से उन्नयन होकर हाईस्कूल बने इन 10 स्कूलों में शासन के द्वारा एक प्राचार्य का पद स्वीकृत किया गया है। वहीं शिक्षकों के 9-9 पद भी स्वीकृत किए गए है। लेकिन इन स्कूलों में न तो प्राचार्यका पद भरा हैऔर न ही शिक्षकों की पदस्थी की गईहै।
दांव पर लगा 500 छात्र-छात्राओं का भविष्य
प्रभारी के भरोसे चलने वाले इन हाईस्कूलों में 500 के करीब छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। बच्चों का इन स्कूलों में पढऩा मजबूरी है,क्योंकि इन गांवों में दसवीं तक पढऩे के लिए कोईदूसरी सुविधा नहीं है। मगर इन स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े है। हालांकि इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए अतिथि शिक्षक नियुक्त कर रखे है।मगर अतिथि शिक्षक विषय के लिहाज से नियुक्त नहीं है। जिसकारण इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं काभविष्य दांव पर लग गया है।
वर्जन
इन हाईस्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पद जल्द ही भर जाएंगे। इसके लिए शासन के द्वारा शिक्षकों की भर्ती करने संबंधी कार्रवाईकी जा रही है।बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो,इसके लिए इन स्कूलों में अतिथि शिक्षक नियुक्त कर रखे है।
वकील सिंह रावत
जिला शिक्षा अधिकारी,श्योपुर
फैक्टफाइल
10-हाईस्कूलों में नहीं एक भी शिक्षक पदस्थ
4-शिक्षिक विहिन हाईस्कूल एक साल पहले खुले थे जिले में
6-शिक्षिक विहिन हाईस्कूल दो साल पहले खुले थे जिले में
10-पद शासन ने स्वीकृत कर रखे हैइन स्कूलों में
500-के करीब बच्चों का भविष्य दांव पर