ऐसे मिलता है ओडीएफ का दर्जा
ओडीएफ यानि ओपन डेफिकेशन फ्री क्या होता है और एक ग्राम पंचायत को शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दजऱ्ा कैसे मिलता है, इस बारे में जानना ज्यादा महत्वपूर्ण है. दरअसल, जब किसी ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव ये दावा करते है कि उनका ग्राम पंचायत शौच मुक्त हो चुका है। तब जनपद पंचायत द्वारा एक जांच दल गठित कर संबंधित ग्राम पंचायत भेजा जाता है। इस जांच दल के रिपोर्ट को जिला पंचायत भेजा जाता है जिला पंचायत द्वारा फिर एक जांच दल गठित कर उसी ग्राम पंचायत में निरीक्षण के लिए भेजा जाता है। जिला पंचायत के जांच दल के रिपोर्ट को राज्य सरकार के पास भेजा जाता है। राज्य सरकार द्वारा दूसरे जिले से एक जांच दल संबंधित ग्राम पंचायत भेजा जाता है। दूसरे जिले के जांच रिपोर्ट को फाइनल मानकर उस ग्राम पंचायत को ओडीएफ यानि कि शौच मुक्त ग्राम पंचायत का प्रमाण पात्र दिया जाता है। कुल मिलाकर, त्रिस्तरीय जांच के बाद एक ग्राम पंचायत को शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दजऱ्ा मिलता है.
ओडीएफ यानि ओपन डेफिकेशन फ्री क्या होता है और एक ग्राम पंचायत को शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दजऱ्ा कैसे मिलता है, इस बारे में जानना ज्यादा महत्वपूर्ण है. दरअसल, जब किसी ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव ये दावा करते है कि उनका ग्राम पंचायत शौच मुक्त हो चुका है। तब जनपद पंचायत द्वारा एक जांच दल गठित कर संबंधित ग्राम पंचायत भेजा जाता है। इस जांच दल के रिपोर्ट को जिला पंचायत भेजा जाता है जिला पंचायत द्वारा फिर एक जांच दल गठित कर उसी ग्राम पंचायत में निरीक्षण के लिए भेजा जाता है। जिला पंचायत के जांच दल के रिपोर्ट को राज्य सरकार के पास भेजा जाता है। राज्य सरकार द्वारा दूसरे जिले से एक जांच दल संबंधित ग्राम पंचायत भेजा जाता है। दूसरे जिले के जांच रिपोर्ट को फाइनल मानकर उस ग्राम पंचायत को ओडीएफ यानि कि शौच मुक्त ग्राम पंचायत का प्रमाण पात्र दिया जाता है। कुल मिलाकर, त्रिस्तरीय जांच के बाद एक ग्राम पंचायत को शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दजऱ्ा मिलता है.
आंकड़ों से अलग है हकीकत
स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के कराहल विकासखंड में 50 पंचायतों में 22 हजार शौचालय बनाए गए है। जबकि पूरे जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 87 हजार 705 शौचालय बनाए गए। बता दें कि 1 शौचालय के निर्माण के लिए 12 हज़ार रुपए सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है, जिसमे से 9000 केंद्र सरकार द्वारा और 3000 रूपए राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। इस तरह से इस मिशन में शौचालयों के निर्माण के लिए कुल 105 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के कराहल विकासखंड में 50 पंचायतों में 22 हजार शौचालय बनाए गए है। जबकि पूरे जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 87 हजार 705 शौचालय बनाए गए। बता दें कि 1 शौचालय के निर्माण के लिए 12 हज़ार रुपए सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है, जिसमे से 9000 केंद्र सरकार द्वारा और 3000 रूपए राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। इस तरह से इस मिशन में शौचालयों के निर्माण के लिए कुल 105 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए।
पड़ताल में सामने आई ये बात
पड़ताल में हमने पाया कि जिले में बनाए गए शौचालयों में से मात्र कुछ फीसद शौचालय ही इस्तेमाल करने योग्य है। बांकी सभी बेकार हो गए है। खंडहर में तब्दील हो चुके है। साथ ही ओडीएफ घोषित किए गए अधिकांश ग्राम पंचायतों में जो शौचालय बनाए गए उनकी स्थिति बेहद ही दयनीय है। कहीं शौचालय में छत नहीं तो कहीं टॉयलेट सीट ही गायब है। कहीं दरवाज़ा नहीं तो कहीं सेप्टिक टैंक ही नहीं बनाया गया। यदि बनाया भी गया तो बेहद ही निम्न स्तर का कहीं ये सब बनाया भी गया तो निर्माण के 10 दिनों के अंदर ही पाइप टूटने की शिकायत या सेप्टिक टैंक के छोटे साइज़ की वजह से भर जाने की शिकायत मिली या फिर टॉयलेट सीट ही टूट जाने की शिकायत ग्रामीणों ने की।
इनका कहना है
शौचालय तो बना, लेकिन उसका उपयोग इसलिए नहीं किया गया कि वह ठीक तरह नहीं बना। अब खुले में ही शौंच जाते हैं।
रामसिंह, स्थानीय निवासी कराहल
पड़ताल में हमने पाया कि जिले में बनाए गए शौचालयों में से मात्र कुछ फीसद शौचालय ही इस्तेमाल करने योग्य है। बांकी सभी बेकार हो गए है। खंडहर में तब्दील हो चुके है। साथ ही ओडीएफ घोषित किए गए अधिकांश ग्राम पंचायतों में जो शौचालय बनाए गए उनकी स्थिति बेहद ही दयनीय है। कहीं शौचालय में छत नहीं तो कहीं टॉयलेट सीट ही गायब है। कहीं दरवाज़ा नहीं तो कहीं सेप्टिक टैंक ही नहीं बनाया गया। यदि बनाया भी गया तो बेहद ही निम्न स्तर का कहीं ये सब बनाया भी गया तो निर्माण के 10 दिनों के अंदर ही पाइप टूटने की शिकायत या सेप्टिक टैंक के छोटे साइज़ की वजह से भर जाने की शिकायत मिली या फिर टॉयलेट सीट ही टूट जाने की शिकायत ग्रामीणों ने की।
इनका कहना है
शौचालय तो बना, लेकिन उसका उपयोग इसलिए नहीं किया गया कि वह ठीक तरह नहीं बना। अब खुले में ही शौंच जाते हैं।
रामसिंह, स्थानीय निवासी कराहल
जिम्मेदारों की दलील
पंचायत ने शौचालय बनाकर दे दिए अब उनका रखरखाव हितग्राही को करना था। लेकिन आदिवासी इलाकों में इनका रखरखाव ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है इस कारण इनकी स्थिति खराब है जो लोग स्वच्छता के बारे में जानते हैं वह रखरखाव कर रहे हैं।
देवेश्वरी शर्मा, कोर्डिनेडर स्वच्छता मिशन कराहल
पंचायत ने शौचालय बनाकर दे दिए अब उनका रखरखाव हितग्राही को करना था। लेकिन आदिवासी इलाकों में इनका रखरखाव ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है इस कारण इनकी स्थिति खराब है जो लोग स्वच्छता के बारे में जानते हैं वह रखरखाव कर रहे हैं।
देवेश्वरी शर्मा, कोर्डिनेडर स्वच्छता मिशन कराहल