मानपुर कस्बे में पुरी की तर्ज पर रथयात्रा निकालने का सिलसिला पिछले 70 वर्षों से निरंतर जारी है। 70 वर्ष पूर्व कस्बे में कुंडेरा वाले पंडितजी जगन्नाथ आचार्य द्वारा यह परंपरा शुरू की गई, जिसे बड़े मंदिर श्री रघुनाथपुर मंदिर के पुजारी पं. राधेश्याम उपाध्याय द्वारा विस्तारित किया गया। कस्बे के बड़े मंदिर श्री रघुनाथजी मंदिर से रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। बैलगाड़ी को एक सुसज्जित रथ का रूप देने के बाद भगवान उसमें विराजित होते हैं और फिर नगर भ्रमण शुरू होता है। धार्मिक वातावरण में बड़े मंदिर से दोपहर बाद प्रारंभ होकर रथयात्रा शाम के समय भगवान नृसिंह मंदिर पहुंचती हैं, जहां बड़ी देर तक भजन कीर्तनों का दौर चलता है। इसके बाद पूजा अर्चना और सामूहिक आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद के रूप में तले हुए चने बांटे जाते हैं, जिन्हें प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहता है। प्रसाद वितरण होने के बाद रथयात्रा दूसरे रास्ते से वापिस बड़े मंदिर पहुंचती है। रथयात्रा के पीछे महिलाएं मंगल गीत गाती हुई चलती हैं।
बागल्दा के जगन्नाथ मंदिर में है लकड़ी की प्रतिमाएं
मानपुर के अलावा जिले की बड़ौदा तहसील मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर ग्राम बागल्दा में अहेली नदी के किनारे स्थापित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भी रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। बताया गया है कि जिले का ये एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। रथयात्रा के लिए इन प्रतिमाओं को सुसज्जित रथ पर सवार किया जाता है और पूरे गांव में भ्रमण कराया जाता है। इस दौरान ग्रामीणों ने जगह-जगह आरती उतारी जाती है और पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।