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श्योपुर

पीर की मजार पर गुरुपूर्णिमा को जुटते हैं लोग

ग्राम मेवाड़ा में पीर की मजार पर गुरुपूर्णिमा पर होता है अनूठा आयोजन, लगाते हैं चूरमा-बाटी का भोग
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श्योपुरJul 24, 2021 / 12:07 am

संजय तोमर

पीर की मजार पर गुरुपूर्णिमा को जुटते हैं लोग

पीर की मजार पर गुरुपूर्णिमा को जुटते हैं लोग

श्योपुर. भले ही आज यहां-वहां सांप्रदायिकता की स्थिति नजर आती हो,लेकिन वर्षों पुरानी परंपरएं आज भी सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ाने का काम कर रही हैं। कुछ यही स्थिति है कि मानपुर क्षेत्र के मेवाड़ा गांव में जहां पीर बाबा की मजार पर गुरुपूर्णिमा पर विशेष पूजा होती है। इस अनूठी परंपरा और एक छोटे मेले में एक सूफी संत पीर बाबा की मजार पर गांव के हिंदू धर्मावलंबी एकत्रित होते हैं और पूजा करते हैं।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक लगभग पांच सौ साल पहले एक सूफी संत पीर बाबा ग्राम मेवाड़ा में रहते थे और यहां शांति व भाईचारे का संदेश देते थे। शांति व भाईचारे का संदेश देते हुए उन्होंने यहीं जिंदा समाधि ली थी, जिसके बाद उनके अनुयायियों ने उनकी मजार बनाई और तभी से यहां पीर बाबा की पूजा-अर्चना की जाती है। यूं तो गांव के लोग अन्य दिनों में भी पीर बाबा की मजार पर जाते हैं, लेकिन गुरुपूर्णिमा के दिन का विशेष महत्व है। जिसके चलते गुरुपूर्णिमा पर यहां मेवाड़ा के लोग एकत्रित होते हैं, बल्कि वो लोग भी आते हैं जो या मेवाड़ा छोडकऱ बाहर रहे रहे हैं, या फिर यहां के निवासियों के रिश्तेदार हैं। यही वजह है कि गुरुपूर्णिमा के दिन यहां सांप्रदायिक सद्भाव साफ झलकता है।
विशेष भोग लगता है
हिंदू धर्मावलंबियों के प्रमुख त्योहार गुरुपूर्णिमा पर मेवाड़ा में पीर बाबा की मजार पर होने वाले इस आयोजन की खास बात यह है कि यहां मेवाड़ा के हर घर से भोग जाता है और वो भी चूरमा-बाटी का। यही वजह है कि लगभग 300 घरों के ग्राम मेवाड़ा में गुरुपूर्णिमा के दिन चूरमा-बाटी बनाई जाती है और परिजनों के खाने से पहले पीर बाबा की मजार पर भोग लगाया जाता है। यही वजह है कि गांव में गरीब और अमीर सभी चूरमा बाटी बनाकर कूंडा (भोग)चढ़ाते हैं।
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