श्राद्धपक्ष के अंतिम दिन गुरुवार को पितृमोक्ष अमावस्या मनाई गई। इस दौरान लोगों ने घरों में अपने पितरों का श्राद्ध किया, वहीं जलाशयों में जाकर तर्पण किया, साथ ही पितृ विसर्जन भी किया। अमावस्या के अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने जलाशयों में जाकर पवित्र स्नान भी किया। कई लोग जहां त्रिवेणी संगम रामेश्वर धाम पहुंचे तो कई ने उतनवाड़ा धु्रव कुंड में स्नान किया। रामेश्वर त्रिवेणी संगम पर श्योपुर की ओर तो कम भीड़ रही, लेकिन राजस्थान की सीमा में परशुराम घाट पर बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान किया, वहीं दूसरी ओर 18 सितंबर से भगवान विष्णु की आराधना का अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) आरंभ हो जाएगा। इस दौरान नौ सर्वार्थ सिद्धि योग, दो द्विपुष्कर योग, एक अमृतसिद्धि योग और दो दिन पुष्य नक्षत्र के योग मिलेंगे। रविवार और सोमवार को पुष्य नक्षत्र अधिक फलदायी होगा।
अधिकमास का पहला दिन ही फलदायी अधिकमास की शुरुआत शुक्रवार को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल नाम के शुभ योग में होगी। यानी इस मास का पहला दिन दिन बेहद शुभदायी रहेगा। 26 सितंबर के बाद एक अक्टूबर, चार अक्टूबर, छह-सात अक्टूबर, नौ अक्टूबर, 11 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को यह योग रहेगा। इसी तरह इस महीने में दो दिन द्विपुष्कर योग मिलेगा। ज्योतिष के अनुसार इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। 19 और 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग रहेगा। इसी तरह दो अक्टूबर को अमृतसिद्धि योग है। पुरुषोत्तम मास में एक दिन अमृतसिद्धि योग भी रहेगा। इस मास में दो अक्टूबर अमृत सिद्धि योग है। मान्यता के अनुसार इस योग में किया गया कोई भी कार्य दीर्घ फलदायी होता है।
शारदीय नवरात्र एक माह बाद यंू तो श्राद्धपक्ष खत्म होने के दूसरे दिन से ही शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार अधिकमास होने के चलते नवरात्र एक माह बाद प्रारंभ होंगे। बताया गया है कि अधिकमास 17 अक्टूबर तक रहेगा, लिहाजा 18 अक्टूबर से नवरात्र प्रारंभ होंगे।