इंद्र से बलवान गोवर्धन, इसलिए गोवर्धन की पूजा
सोईंकला में चल रही भागवत कथा में बोले कथावाचक
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सोईंकला/ओछापुरा. सीताराम मंदिर पर चल रही भागवत कथा के दौरान कथावाचक शंभुदयाल शर्मा ने कहा कि इंद्र से ज्यादा गोवर्धन पर्वत बलवान है। इसलिए गोवर्धन वासियों ने उसकी पूजा की। इस मौके पर उन्होंने श्रीकृष्ण बाल लीला, गोवर्धन पूजा का सुंदर चित्रण किया गया। उन्होंने कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणा दायक हैं। भगवान कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं कीं। बाल कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया।
कथा वाचक ने कहा कि भगवान कृष्ण अपनी सखाओं और गोप-ग्वालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर गए थे। वहां पर गोपिकाएं 56 प्रकार का भोजन रखकर नाच गाने के साथ उत्सव मना रही थी। कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन व्रसासुर को मारने वाले तथा मेघों व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इन्द्र ब्रज में वर्षा करते हैं जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है।
भगवान कृष्ण ने कहा कि इन्द्र में क्या शक्ति है। उनसे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है अत: हमें इंद्र से बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। बहुत विवाद के बाद श्री कृष्ण की यह बात मानी गई और ब्रज में गोवर्धन पूजा की तैयारियां शुरू हो गई। इस दौरान श्रद्धालु भक्ति सागर में मंत्रमुग्ध दिखे।
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