scriptमरीज और तीमारदारों के लिए ठंड से बचने किराए के रजाई-गद्दे बने सहारा | Rental quilt-mattress support for patients and timers | Patrika News

मरीज और तीमारदारों के लिए ठंड से बचने किराए के रजाई-गद्दे बने सहारा

locationश्योपुरPublished: Dec 16, 2019 03:15:50 pm

Submitted by:

Anoop Bhargava

– जिला अस्पताल के बाहर20 रुपए में रजाई-गद्दे मिलते हैं किराए पर- परिजन बोले..सरकारी कंबल से नहीं बचती ठंड, इसलिए किराए से लानी पड़ती है रजाई

मरीज और तीमारदारों के लिए ठंड से बचने किराए के रजाई-गद्दे बने सहारा

मरीज और तीमारदारों के लिए ठंड से बचने किराए के रजाई-गद्दे बने सहारा

श्योपुर
जिला अस्पताल में मरीजों को ठंड से बचाव के लिए पर्याप्त कंबल नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में अस्पताल के बाहर दुकानों से किराए पर रजाई-गद्दे लाकर मरीज व उनके परिजन ठंड से बचाव कर रहे है। पुरुष एवं महिला मेडिसिन वार्ड में भर्ती मरीजों को किराए की रजाई ओडकऱ ठंडसे बचाव करना पड़ रहा है। वहीं परिजनों को गैलरी में सर्दी से बचने के लिए किराए से रजाई और गद्दे लेकर आना पड़ रहे हैं।
पत्रिका टीम ने अस्पताल के वार्डों का जायजा लिया तो परिजनों ने बताया कि एक पतला कंबल मिला जिससे ठंड से बचना मुश्किल था। इसलिए दुकान से किराए पर रजाई लेकर आना पड़ी। 200 बिस्तर के जिला अस्पताल में पर्याप्त कंबल नहीं होने से मरीज ठिठुर रहे हैं। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कंबल की उपलब्धता कम होना व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करती है। इतना ही नहीं प्रसूता वार्ड में भर्ती महिलाओं को ठंड के मौसम में गर्म पानी उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। इसके बावजूद अस्पताल में प्रसूताओं को गर्म पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। परिजन मजबूरन अस्पातल के बाहर दुकानों से पांच रुपए देकर गर्म पानी कराने जाते हैं।
20 रुपए में रजाई-गद्दे मिलते हैं किराए पर
अस्पताल से मरीजों को मिलने वाला कंबल इतना पतला है कि उससे ठंड नहीं बचती। ऐसे में मरीज को ठंड से बचाने के लिए परिजन 10 रुपए किराए पर रजाई लेकर आते हैं। परिजनों को अपने लिए रजाई और गद्दा दोनों किराए से लाने पड़ते हैं। यह दोनों 20 रुपए किराए पर मिल जाते हैं। अस्पताल के बाहर दुकानदारों ने इसे कमाई का जरिया बना रखा है।
बेडशीट रोज बदलने के हैं नियम
अस्पताल में भर्ती मरीज के पलंग की बेडशीट, तकिया और कंबल रोज बदलना चाहिए। ताकि मरीज को इंफेक्शन न हो। लेकिन जिला अस्पताल में बेडशीट और तकिये के कवर बदलना तो दूर ठंड से बचाव के लिए पर्याप्त कंबल और चादर नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सुबह आठ बजे के बाद लगता है चार्ज
किराए पर मिलने वाले रजाई-गद्दों को सुबह आठ बजे तक दुकानदार तक पहुंचाना होता है। इसके बाद अतिरिक्त चार्ज लगना शुरू हो जाता है ऐसे में मरीज के परिजन सबसे पहले रजाई-गद्दा वापस करने जाते हैं। अस्पताल के बाहर जितनी भी दुकानें हैं सब पर रजाई-गद्दे मिलते हैं। दरअसल जिला अस्पताल में गांव-देहात से ज्यादा मरीज आते हैं उनके परिजन ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े नहीं लेकर आ पाते इसलिए भी इनकी बिक्री होती है।
10 दिन से ला रहे किराए से रजाई
पत्नी भर्ती है। अस्पताल से मिलने वाले कंबल से ठंड नहीं बचती इसलिए किराए से रजाई लानी पड़ती है। पिछले दस दिन से रजाई किराए से ला रहा था, लेकिन अब पैसे कम पडऩे लगे तो बंद कर दी।
रघुवीर, निवासी उतनवाड़
सुबह आठ बजे वापस कर आते हैं
अस्पताल से जो लाल कंबल मिलता है उससे ठंड नहीं बचती, इसलिए किराए से रजाई लेकर आना पड़ती है। शाम को लेकर आते हैं और सुबह आठ बजे वापस कर आते हैं, क्योंकि दूसरे दिन का चार्ज लग जाता है।
इरशाद, भर्ती मरीज
बच्चा भर्ती है, लाते हैं किराए पर रजाई
शिशु गहन चिकित्सा इकाई में नवजात भर्ती है। ऐसे में ठंड से बचने के लिए रजाई-गद्दा लाने पड़ते हैं। 20 रुपए दोनों का किराया देना पड़ता है। 12 दिन से अस्पताल में हैं।
धीरज, निवासी सेमल्दा हबेली

ट्रेंडिंग वीडियो